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नई दिल्ली। पवन बंसल और अश्वनी कुमार के इस्तीफे के एक दिन बाद शनिवार को दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को कानून मंत्रालय और सड़क एवं परिवहन मंत्री रेल मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया। दो मंत्रियों के इस्तीफे के साथ बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक और फेरबदल जरूरी माना जा रहा है। कांग्रेस पार्टी व सरकार में सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यूपीए-2 की चौथी सालगिरह से पहले मंत्रिमंडल में कुछ नए सदस्यों को शामिल करने पर विचार कर रहे हैं। 22 मई को यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के चार साल पूरे हो रहे हैं। मंत्रिमंडल में फेरबदल 15 मई के बाद कभी भी हो सकता है। प्रधानमंत्री राज्यसभा सीट के नामांकन के लिए 15 मई को गुवाहाटी जा रहे हैं। इसके बाद राष्ट्रपति की उपलब्धता को देखते हुए कोई दिन तय किया जाना है। सूत्रों के अनुसार, रेल मंत्रालय में जोशी अस्थायी तौर पर हैं जबकि कानून मंत्रालय हो सकता है सिब्बल के पास ही रहे। फेरबदल को लेकर अभी शुरुआती विचार-विमर्श किया जाना है। एक राय चुनाव वाले राज्यों को ध्यान में रखकर फेरबदल करने की है। अगले वर्ष की शुरुआत में लोकसभा चुनावों से पहले इस वर्ष के अंत तक चार पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। फिलहाल मंत्रिपरिषद में 11 जगह खाली हैं। मंत्रिपरिषद में अधिकतम 82 सदस्य हो सकते हैं और अभी कुल 71 मंत्री हैं। पिछला कैबिनेट फेरबदल अक्तूबर 2012 में हुआ था। उसके बाद डीएमके के पांच मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। फेरबदल इसलिए भी जरूरी माना जा रहा है क्योंकि कई मंत्रियों के पास एक से अधिक मंत्रलयों का प्रभार है। (साभार)
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