राष्ट्र निर्माण के आंदोलन में गायत्री परिवार अन्ना के साथः डॉ.प्रणव
हरिद्वार (नरेश दीवान शैली)। देश की जनता ही देश की सच्ची मालिक है। राष्ट्र का नवनिर्माण उसके जागने से ही संभव है। केवल सत्ता परिवर्तन से देश का भविष्य नहीं बदलेगा। देश का भाग्य बदलने के लिए सत्ता परिवर्तन नहीं, व्यवस्था परिवर्तन जरूरी है। देश के प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपनी उत्तराखंड की जनजागरण यात्रा आरंभ करने से पूर्व देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में उपस्थित लोकसेवी और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उपरोक्त विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर उनके साथ गायत्री परिवार के प्रमुख और देसंविवि के कुलाधिपति डॉ.प्रणव पण्ड्या, अन्ना के प्रमुख सहयोगी वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय, शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता डॉ.बृजमोहन गौड़, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ.चिन्मय पण्ड्या और कुलसचिव संदीप कुमार मंचासीन थे। इस सभा के तुरंत बाद पूज्य पं.श्रीराम शर्मा आचार्य एवं वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा के स्मारक ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए अन्ना ने अपनी उत्तराखंड की जनतंत्र जागरण यात्रा का शुभारंभ किया। अन्ना ने मृत्युंजय सभागार में दिये अपने वक्तव्य में आचार्यश्री की पुस्तक ‘मालिकों को जगाओ, प्रजातंत्र बचाओ’ का बार-बार उल्लेख करते हुए कहा कि यही उनका अभियान है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के संविधान में दलगत चुनाव की व्यवस्था नहीं है। जनता को अपना प्रत्याशी चुनने और विधानमंडलों में भेजने की व्यवस्था है, लेकिन धोखे से हमारे देश में दलगत प्रत्याशियों को चुनने की परंपरा चल पड़ी है। चुनाव की इस सामूहिक परंपरा ने भ्रष्टाचार को बढ़ाया है। हमें इस व्यवस्था को बदलना है, अपना प्रतिनिधि खुद चुनकर उसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाकर संसद तक भेजना है। ऐसी व्यवस्था होगी, तभी सत्ता और प्रशासन देश की भलाई के प्रति संवेदनशील होंगे। अन्ना ने अपने व्यवस्था परिवर्तन के सूत्रों के अंतर्गत आदर्श गांवों के निर्माण पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि कई गांवों में हुए ऐसे प्रयोगों के बड़े सुखद परिणाम आये हैं। जिन गांवों में 30 एकड़ भूमि में एकबार की फसल की सिंचाई की व्यवस्था नहीं थी, वहां मात्र वर्षाजल को रोकने से आज 1500 एकड़ भूमि पर दो समय की फसल की सिंचाई की व्यवस्था है। 16 वर्ष पूर्व जिस गांव में 40 शराब की भठ्ठियां थीं, वहां आज तंबाकू, खैनी तक का सेवन नहीं होता। युवाओं को विश्वास दिलाते हुए उन्होंने कहा कि यह कठिन है, लेकिन असंभव नहीं। देश ऐसे ही परिवर्तनों से बदलेगा। अन्ना ने जीवन का ध्येय आनंद की प्राप्ति बताते हुए शांतिकुंज वासियों की सेवाभावना की प्रशंसा की। उन्होंने आचार्यश्री की तपोभूमि शांतिकुंज से नयी ऊर्जा मिलने की बात कहते हुए यहां उभरा अपना संकल्प व्यक्त किया कि जब तक जनतंत्र नहीं आयेगा, तब तक मरना नहीं है। इससे पूर्व डॉ.प्रणव पण्ड्या ने अन्ना का स्वागत किया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि देश भ्रमण से अन्ना ने एक वर्ष के जिन एक लाख समयदानियों की चाह रखी है, उनमें से अधिकांश गायत्री परिवार के होंगे। उन्होंने गायत्री परिवार द्वारा 400 गांवों को गोद लेकर उन्हें आदर्श बनाते हुए अपनी आदर्श ग्राम विकास योजना को प्राथमिकता से गति देने का विश्वास दिलाया। शांतिकुंज के एक दिन के प्रवास में डॉ.पण्ड्या, शैल जीजी और शांतिकुंज के कई वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं से अन्ना की विस्तार से चर्चा हुई। इस क्रम में आचार्यश्री के राष्ट्र निर्माण के सूत्रों से उन्हें अवगत कराया गया।
हरिद्वार (नरेश दीवान शैली)। देश की जनता ही देश की सच्ची मालिक है। राष्ट्र का नवनिर्माण उसके जागने से ही संभव है। केवल सत्ता परिवर्तन से देश का भविष्य नहीं बदलेगा। देश का भाग्य बदलने के लिए सत्ता परिवर्तन नहीं, व्यवस्था परिवर्तन जरूरी है। देश के प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपनी उत्तराखंड की जनजागरण यात्रा आरंभ करने से पूर्व देव संस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में उपस्थित लोकसेवी और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उपरोक्त विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर उनके साथ गायत्री परिवार के प्रमुख और देसंविवि के कुलाधिपति डॉ.प्रणव पण्ड्या, अन्ना के प्रमुख सहयोगी वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय, शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता डॉ.बृजमोहन गौड़, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ.चिन्मय पण्ड्या और कुलसचिव संदीप कुमार मंचासीन थे। इस सभा के तुरंत बाद पूज्य पं.श्रीराम शर्मा आचार्य एवं वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा के स्मारक ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए अन्ना ने अपनी उत्तराखंड की जनतंत्र जागरण यात्रा का शुभारंभ किया। अन्ना ने मृत्युंजय सभागार में दिये अपने वक्तव्य में आचार्यश्री की पुस्तक ‘मालिकों को जगाओ, प्रजातंत्र बचाओ’ का बार-बार उल्लेख करते हुए कहा कि यही उनका अभियान है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के संविधान में दलगत चुनाव की व्यवस्था नहीं है। जनता को अपना प्रत्याशी चुनने और विधानमंडलों में भेजने की व्यवस्था है, लेकिन धोखे से हमारे देश में दलगत प्रत्याशियों को चुनने की परंपरा चल पड़ी है। चुनाव की इस सामूहिक परंपरा ने भ्रष्टाचार को बढ़ाया है। हमें इस व्यवस्था को बदलना है, अपना प्रतिनिधि खुद चुनकर उसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाकर संसद तक भेजना है। ऐसी व्यवस्था होगी, तभी सत्ता और प्रशासन देश की भलाई के प्रति संवेदनशील होंगे। अन्ना ने अपने व्यवस्था परिवर्तन के सूत्रों के अंतर्गत आदर्श गांवों के निर्माण पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि कई गांवों में हुए ऐसे प्रयोगों के बड़े सुखद परिणाम आये हैं। जिन गांवों में 30 एकड़ भूमि में एकबार की फसल की सिंचाई की व्यवस्था नहीं थी, वहां मात्र वर्षाजल को रोकने से आज 1500 एकड़ भूमि पर दो समय की फसल की सिंचाई की व्यवस्था है। 16 वर्ष पूर्व जिस गांव में 40 शराब की भठ्ठियां थीं, वहां आज तंबाकू, खैनी तक का सेवन नहीं होता। युवाओं को विश्वास दिलाते हुए उन्होंने कहा कि यह कठिन है, लेकिन असंभव नहीं। देश ऐसे ही परिवर्तनों से बदलेगा। अन्ना ने जीवन का ध्येय आनंद की प्राप्ति बताते हुए शांतिकुंज वासियों की सेवाभावना की प्रशंसा की। उन्होंने आचार्यश्री की तपोभूमि शांतिकुंज से नयी ऊर्जा मिलने की बात कहते हुए यहां उभरा अपना संकल्प व्यक्त किया कि जब तक जनतंत्र नहीं आयेगा, तब तक मरना नहीं है। इससे पूर्व डॉ.प्रणव पण्ड्या ने अन्ना का स्वागत किया। उन्होंने विश्वास दिलाया कि देश भ्रमण से अन्ना ने एक वर्ष के जिन एक लाख समयदानियों की चाह रखी है, उनमें से अधिकांश गायत्री परिवार के होंगे। उन्होंने गायत्री परिवार द्वारा 400 गांवों को गोद लेकर उन्हें आदर्श बनाते हुए अपनी आदर्श ग्राम विकास योजना को प्राथमिकता से गति देने का विश्वास दिलाया। शांतिकुंज के एक दिन के प्रवास में डॉ.पण्ड्या, शैल जीजी और शांतिकुंज के कई वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं से अन्ना की विस्तार से चर्चा हुई। इस क्रम में आचार्यश्री के राष्ट्र निर्माण के सूत्रों से उन्हें अवगत कराया गया।
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