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रामनवमी पर विशेषः असुरों का संहार करने के लिए भगवान राम ने लिया था अवतार

भारत की दिनचर्या, सभ्यता और संस्कृति में पर्व-त्योहार बसे हुए हैं। इसी क्रम में एक पर्व आता है रामनवमी। असुरों का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने राम रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। रामनवमी शुक्ल पक्ष की 9वीं तिथि जो अप्रैल में किसी समय आती है, को राम के जन्मर दिन की स्मृति में मनाया जाता है। इस बार राम नवमी 19 अप्रैल दिन शुक्रवार को है| रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्याू में मन्दिरों में जाते हैं और राम की प्रशंसा में भक्तिपूर्ण भजन गाते हैं तथा उसके जन्मोरत्स व को मनाने के लिए उसकी मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। इस महान राजा की कहानी का वर्णन करने के लिए काव्य् तुलसी रामायण से पाठ किया जाता है। भगवान राम का जन्म स्थान अयोध्यात, रामनवमी त्यौेहार के महान अनुष्ठाान का केंद्र बिन्दुभ है। राम, उनकी पत्नीन सीता, भाई लक्ष्मनण व भक्त हनुमान की रथ यात्राएं बहुत से मंदिरों से निकाली जाती हैं। हिंदू घरों में रामनवमी पूजा करके मनाई जाती है। पूजा के लिए आवश्यनक वस्तुैएं, रोली, ऐपन, चावल, जल, फूल, एक घंटी और एक शंख होते हैं। इसके बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्य‍ परिवार के सभी सदस्योंर को टीका लगाती है। पूजा में भाग लेने वाला प्रत्येीक व्यिक्ति के सभी सदस्यों को टीका लगाया जाता है। पूजा में भाग लेने वाला प्रत्येेक व्यलक्ति पहले देवताओं पर जल, रोली और ऐपन छिड़कता है, तथा इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल छिड़कता है। तब प्रत्ये्क खड़ा होकर आरदती करता है तथा इसके अंत में गंगाजल अथवा सादा जल एकत्रित हुए सभी जनों पर छिड़का जाता है। पूरी पूजा के दौरान भजन गान चलता रहता है। अंत में पूजा के लिए एकत्रित सभी जनों को प्रसाद वितरित किया जाता है। (साभार)
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