पटना। एसी-डीसी बिल के मसले पर वेल में पहुंचे राजद विधायक प्रश्नकाल के दौरान सदन से बाहर निकल गए। शून्यकाल के समय लौटे तो शोर के बीच मामला दूसरा था। अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी सदन में बैठे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि विपक्ष एसी-डीसी बिल के मसले पर अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहता है। इस सूचना पर मुख्यमंत्री खड़े हुए और बोले कि विपक्ष, अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहता है तो हमलोगों को कोई एतराज नहीं है। लोकतंत्र में विपक्ष का यह तो अधिकार है। राजद के सदस्य भी हैरान कि आखिर सरकार इतनी जल्दी उनके इस प्रस्ताव पर कैसे सहमत हो गई? बहरहाल, विपक्ष के बीच असमंजस की स्थिति साफ दिख रही थी। इसी बीच अध्यक्ष ने कहा कि चलिए, लाइए प्रस्ताव। कुछ देर तक राजद के सदस्य यह तय ही नहीं कर पाए कि आखिर अविश्वास प्रस्ताव मूव कौन करे? नेता प्रतिपक्ष अब्दुल बारी सिद्दिकी सदन में मौजूद ही नहीं थे। देरी होने पर संसदीय कार्य मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव खड़े हो गए और कहा कि मूव क्यों नहीं कर रहे प्रस्ताव? आखिरकार राजद के दुर्गा प्रसाद सिंह खड़े हुए और अविश्वास प्रस्ताव की सूचना को औपचारिक रूप से पढ़ा। कहा कि उन्होंने कहा कि कार्यसंचालन नियमावली के नियम 109 के अंतर्गत हम अविश्वास प्रस्ताव की सूचना देते हैं।
दुर्गा बाबू की सूचना जैसे ही खत्म हुई कि विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जो अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में हैं वह खड़े हो जाएं। राजद विधायक अपनी सीट पर खड़े हो गए। कांग्रेस और निर्दलीय विधायक अपनी सीट पर बैठे रहे। राजद विधायकों के खड़े होते ही अध्यक्ष ने अपने नीचे बैठे सभा के वरिष्ठ अधिकारी को अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में खड़े विधायकों की गिनती को कहा। गिनती पूरी होने के बाद अधिकारी ने संख्या अध्यक्ष को बताई। तुरंत एलान हुआ कि संख्या केवल 17 है। इतनी कम संख्या में तो अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग ही नहीं करायी जा सकती। कम से कम 23 की संख्या चाहिए। राजद के लोग बैठ गए। अब सत्ता पक्ष की बारी थी। विधानसभा अध्यक्ष ने भाई वीरेंद्र और सम्राट चौधरी कार्यस्थगन प्रस्ताव को भी नामंजूर कर दिया। राजद के राघवेंद्र प्रताप सिंह अपनी सीट से उठे और जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि संविधान का ज्ञान खूब पढ़ाते रहते हैं हमलोगों को। हमलोगों को अगर कुछ नहीं आता है तो सदन से आउट करा दीजिए। (साभार, डीजे)
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