नई दिल्ली। एंटी रेप बिल बनाने वाली कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस जेएस वर्मा का निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे। 18 जनवरी 1933 को जन्मे जस्टिस वर्मा मध्य प्रदेश और राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे। जनवरी 1998 में वह भारत के मुख्य न्यायाधीश बने। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुई बलात्कार की घटना के बाद जस्टिस वर्मा उस कमेटी के अध्यक्ष थे जिसपर भारत में रेप के कानूनों में बदलाव की सलाह ली गई थी। अहम बात यह रही थी कि 1 महीने से भी कम वक्त में कमिटी ने अपनी 600 पन्नों की रिपोर्ट सौंप दी थी और सरकार ने ऐंटि रेप बिल में कमिटी के कई सुझाव को कानून का अमलीजामा भी पहनाया। जस्टिस वर्मा न्यूज चैनलों की संस्था एनबीए से भी जुड़े थे। जस्टिस वर्मा न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीए) के चेयरमैन पद पर थे। जस्टिस वर्मा को तबीयत बिगड़ने के बाद गुड़गांव के मेदांता अस्पातल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका देहांत हो गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक उनका निधन मल्टी ऑर्गन फेलियर की वजह से हुआ। यानी उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। 16 दिसंबर 12 को हुई दिल्ली गैंग रेप की घटना के बाद जस्टिस जेएस वर्मा कमिटी ने जो सुझाव सरकार को दिए थे, उसके लागू होने पर महिलाओं के खिलाफ होने वाले मामूली अपराध में भी कड़ी सजा का प्रावधान होगा। (साभार)
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