आशुतोष कुमार मिश्र, गोरखपुर। सोनौली के रास्ते राष्ट्र विरोधी ताकतों के भारत पहुंचने का सिलसिला पुराना है। खुली सीमा इस देश विरोधी प्रकरण की हमेशा से वजह है। पर, भारत और नेपाल के दोस्ताना रिश्ते पर भला कोई कैसे भरोसा न करे। मगर यह भी सच है कि इसी दुरभि सन्धि में देश को खतरा से जूझना पड़ रहा है। नेपाल से भारत आने के खुले दरवाजे से घुसपैठ जारी है। दिल्ली पुलिस के हाथ लगे लियाकत की वजह से सोनौली एक बार फिर चर्चा में है।
भारत-पाक के नियंत्रण रेखा पर कड़ी चौकसी और निगरानी के बाद आइएसआइ की कारगुजारी किसी से छिपी नहीं है। वर्षो से पाकिस्तान भारत की शांति और सुरक्षा को खतरा साबित होता चला आ रहा है। अब से करीब 5 वर्ष पहले पाक प्रशिक्षित दो आतंकियों ने श्रीनगर में सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। वर्ष 2008 की 1 जून को नागपुर में तीन आतंकी मारे गए। आधिकारीक तौर पर उनके नेपाल के जरिए भारत पहुंचने की पुष्टि हुई थी। 5 वर्ष पहले सेना के सामने आत्मसमर्पण करने वाले नजीर अहमद लोन व मंजूर अहमद लोन ने 28 जून को आत्मसमर्पण किया। उस समय जम्मू का कुपवाड़ा क्षेत्र और त्रेगाम चर्चा में आया था। त्रेगाम में सेना का कैंप है। दोनों ने यह स्वीकार किया था कि तहरीक-ए-जेहाद के सदस्य के रूप में हमने पाकिस्तान में ट्रेनिंग ली है। दोनों का गुलाम कश्मीर के पते से पासपोर्ट बना था। 10 जून 2008 को पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की विमान से दोनों काठमांडू पहुंचे थे। वहां से बुटवल-भैरहवा-सोनौली होते हुए गोरखपुर आए। जहां से देश के प्रमुख महानगरों से होते हुए दोनों कुपवाड़ा पहुंचे थे। पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों की डायरी की मानें तो नागपुर में मारे गए तीनों नेपाल से भारत में में दाखिल हुए थे।
कांधार विमान अपहरण कांड के एक अपहर्ता ने सोनौली से ही भारत की सीमा नापी थी। 4 वर्ष पहले नौतनवा थाना क्षेत्र के सूंडी गांव से दिनेश लोधी पकड़ा गया। दिनेश को पुलिस ने 6 कुन्तल विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किया और उसे मादक द्रव्य तथा हथियार की तस्करी में जेल भेजा। अब से 20 वर्ष पहले पाक आतंकी इब्राहिम उल्ला, कश्मीरी आतंकवादी मुहम्मद दाग, कश्मीर लिबरेशन फ्रन्ट के कमाण्डर दिलावल भट्ट, नूर बक्श सहित अनगिनत आतंकियों को भारत में गिरफ्तार किया गया। सबने स्वीकारा की नेपाल के जरिए सभी भारत पहुंचे। इस बीच लियाकत का नेपाल से भारत पहुंचना फिर पुष्ट हुआ है। यह बात फिर प्रमाणित हुई है कि नेपाल की खुली सीमा भारत में आतंकी मुसीबत की बड़ी वजह है।
उधर, दिल्ली पुलिस के हाथ लगे संदिग्ध सैयद लियाकत शाह को लेकर यहां आए एनआइए के सदस्यों की गतिविधि से सोनौली का बार्डर दहशत में है। पिछले दिनों गोरखपुर से बार्डर के लिए लियाकत रवाना हुआ तो कइयों के चेहरे की रौनक उड़ गई। खुफिया तंत्र और सरहद की निगरानी के जिम्मेदार लोगों से करीबी रिश्ता रखने वाले सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो संदिग्ध हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी लियाकत को लेकर सीमा की आबो-हवा बदल गई है। लियाकत की गिरफ्तारी के बाद यह चर्चा शुरू हुई कि सीमा पर एसएसबी की चौकसी से लियाकत पकड़ा गया। मगर, बाद में एसएसबी के जिम्मेदार सोनौली में लियाकत और घर के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर बदल गए। लियाकत को साथ लेकर यहां आई एनआईए और संदिग्ध आतंकी का बार्डर पहुंचना कइयों को परेशानी में डालने वाला बताया जाता है, क्योंकि लियाकत नेपाल से सोनौली के रास्ते गोरखपुर पहुंचा था।
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