बस्ती। पूर्वांचल में मासूमों की किलकारी छिन रही है। वजह है जल जनित बीमारी। पूर्वांचल का गोरखपुर व बस्ती मंडल खासकर जलजनित बीमारी एईएस की चपेट में है। पिछले पांच साल से मासूम अकाल मौत के शिकार हो रहे हैं। इस सवाल पर संसद से लेकर विधानसभा के गलियारों में शोर उठे। अभी चंद दिन पहले जल दिवस पर भी संसद में मामला उठा। सरकार दावा भी कर रही है कि कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ और ही है। इसकी एक बानगी है बस्ती मंडल मुख्यालय व उसके आसपास का इलाका। जहां 152 गांवों के लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर है। क्योंकि यहां के पानी में फ्लोराइड व आयरन की अधिकता है। ब्लाक स्तर पर जल निगम ने सर्वे कराया तो पाया कि बस्ती के डेढ़ सौ गांवों में पानी प्रदूषित है। इसमें से 74 गांव ऐसे है जहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा मानक से अधिक है। इन गांवों में फ्लोराइड की मात्रा एक मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है। कहीं-कहीं तो डेढ़ मिलीग्राम प्रति लीटर से ऊपर मात्रा पहुंच गई है। ऐसे गांवों में बहादुरपुर ब्लाक के गोविन्दापुर गांव का छोटका पुरवा, डहलुआ, गोविन्दापुर हरिजन बस्ती, बनकटी ब्लाक का लगनही, एकमा, कराह पीठिया, सदर विकास खंड का डारीडीहा, वंशराजपुरवा, बरईपुरवा, तकिया सहित तमाम गांव व पुरवे शामिल हैं। 69 गांव के पानी में आयरन की मात्रा अधिक पाई गई है। मानक के अनुसार पीने के पानी में आयरन की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से 0.05 मिली प्रतिग्राम तक ही होनी चाहिए। इससे आयरन की मात्र इससे कहीं ज्यादा है। ऐसे गांवों में बहादुरपुर विकास खंड का महादेवा, नाऊंपुरवा, निषाद बस्ती, पाल्हा, मल्लाह पुरवा, ठाकुर पुरवा, सदर का महदा, रामपुर सहित अन्य गांव शामिल हैं। सात गांवों के पानी में अशुद्धियां एक से ज्यादा है। पेयजल दूषित होने के बाद भी इन गांवों में लोग छोटे हैण्डपम्पों का पानी पी रहे हैं। वह भी तब जबकि एईएस के दृष्टिकोण से जिले को संवेदनशील माना गया है। इस मुद्दे पर यहां प्रदेश स्तरीय कार्यशाला भी हो चुकी है। साथ ही तत्कालीन कमिश्नर से अधिशासी अभियंताओं को कड़े निर्देश दे चुके हैं। जल निगम के अधिशासी अभियंता पीएस सिंह कहते हैं कि ऐसे गांवों में पेयजल योजनाएं चलाई जा रही हैं। गांवों में डीप हैण्डपम्प लगवाएं जा रहे हैं। शीघ्र ही इन गांवों में पेयजल की यह समस्या दूर हो जाएगी।
(आशीष शुक्ला)
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