हरिद्वार। अंतत: हरिद्वार विकास प्राधिकरण को समझ आ गया है कि गंगा वही हैं जो हरकी पैड़ी से होकर नगर में बहती हैं। नील पर्वत के नीचे से बहने वाली गंगा का नाम वास्तव में नीलधारा है। 200 मीटर का पैमाना नगर से होकर बहने वाली गंगा के लिए बनाया गया है। हरिद्वार विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष चंद्रशेखर भट्ट ने बताया कि गंगा को लेकर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है। इस बारे में कोई आशंका न पहले थी, न अब है। उन्होंने कहा कि यदि आशंका होती, तो जिन लोगों को ध्वस्तीकरण के नोटिस दिए गए हैं, वे न दिए जाते। उन्हीं भवन स्वामियों को नोटिस दिए गए हैं जिन्होंने नगर से होकर बहने वाली गंगा की धारा के 200 मीटर के भीतर नव निर्माण किए थे। उच्च न्यायालय ने उन्हीं भवनों को हटाने का आदेश दिया है। चंद्रशेखर भट्ट ने कहा कि कुछ अधिकारियों द्वारा बेवजह भ्रम उत्पन्न किया गया, जिसके कारण गंगा के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगे। अब यह विवाद हमेशा के लिए खत्म हो गया है। इस बीच हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तेजी से करने का निर्णय किया है। चंद्रशेखर भट्ट ने बताया कि पूरी रूपरेखा तैयार की जा रही है। नोटिस का जवाब न मिलने पर शीघ्र ही उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा और अवैध भवनों को ध्वस्त कर दिया जाएगा। (साभार, अउ)
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