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तलाश


सारंग श्रीवास्तव 


मेरी तकदीर से पूछ मेरी किस्मत का फैसला
मेरी मुस्कराहट पे ना जा, मेरा दर्द तलाश कर। 

आंखों से पूछ मेरे इंतजार की हद
इम्तेहान पे ना जा, मेरा सब्र तलाश कर। 

मेरे दोस्तों से पूछ मेरी दोस्ती की दासतां
सूरत पे ना जा मेरी सीरत तलाश कर। 

जो मिल जाए तुझको मेरे सवालों का जवाब
तो फिर तू मुझको खुद में तलाश कर। 

दूर तलक निकल गया मैं रिश्ते निभाते-निभाते
जो निभ जाए सारे रिश्ते वो इमान तलाश कर। 

अपने लिए तो जीते जानवर भी हैं 
तू जी सके औरों के लिए खुद में वो इंसान तलाश कर।
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