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इस प्रकार समझिए उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव की पूरी कहानी

लखनऊ (लक्ष्मी शंकर मिश्र)। यूपी नगर निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है। तीन चरणों में चुनाव होना है। पहले चरण का मतदान 22 नवम्बर को है। यूपी निर्वाचन आयोग की तरफ से शुक्रवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई। अधिसूचना जारी होने के साथ ही अब प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मी भी तेज हो गई है। पार्टियों ने कमर कस ली है। इस बार निकाय चुनाव में काफी कुछ नया होना है तो वहीं इस चुनाव का 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी असर पड़ना तय है। पहली बार निकाय चुनाव में सभी बड़ी पार्टियां अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेंगी। बीजेपी और कांग्रेस तो पहले भी सिंबल पर चुनाव लड़ती आई हैं। इस चुनाव में एसपी और बीएसपी भी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेंगी। माना जा रहा है कि सिंबल पर चुनाव लड़ने से इस बार निकाय चुनाव दिलचस्प होगा। एसपी और बीएसपी ने बकायदा इसके संकेत भी दे दिए हैं। लखनऊ में पहली बार मेयर की कुर्सी पर कोई महिला काबिज होगी। दरअसल, पहली बार यह सीट महिला (अनारक्षित) घोषित की गई है। इससे पहले लखनऊ नगर निगम के इतिहास में कभी कोई महिला मेयर नहीं बनी है। यूपी की सत्ता संभालने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने निकाय चुनाव के रूप में यह पहली और अहम परीक्षा है। प्रदेश में सीएम बनने के बाद लोगों का भरोसा योगी कितना जीत पाए हैं, इस चुनाव से यह भी सामने आना है। इसके अलावा विधानसभा चुनावों में मिली प्रचंड जीत के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती भी योगी पर होगी। वहीं हाल के दिनों में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मासूम बच्चों की मौत के साथ कई अन्य मुद्दों पर योगी सरकार घिरी रही है। ऐसे में जनता का विश्वास अभी भी सरकार पर कितना कायम है, इस चुनाव में इसके भी संकेत मिलने हैं। यूपी में होने जा रहे निकाय चुनाव को 2019 की तैयारी से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। यूपी की राजनीतिक पार्टियों के लिए यह सेमीफाइनल की तरह ही है। सभी पार्टियां अपने सिंबल पर लड़ रही हैं और नतीजे काफी कुछ उनकी तैयारी को तय करेंगे। पार्टियां भी बखूबी इस चुनाव के महत्व को समझ रही हैं। यही वजह है कि प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रचार तक में पार्टियां इस बार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती हैं। डॉ. दिनेश शर्मा 2008 में लखनऊ के मेयर बने। उसके बाद वह 2012 में दोबारा जनता का विश्वास जीतने में सफल रहे थे । लगातार दो बार मेयर रहे दिनेश शर्मा अब प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में इस बार निकाय चुनाव में खासकर लखनऊ के मेयर पद पर दिनेश शर्मा की साख भी दांव पर होगी। निश्चित रूप से बीजेपी उम्मीद करेगी कि शर्मा अपनी खाली हुई सीट पर दोबारा किसी बीजेपी उम्मीदवार को काबिज करवाएं। विधानसभा चुनावों में मात खाने के बाद एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने निकाय चुनाव के रूप में बड़ी चुनौती है। पारिवारिक विवाद के कारण विधानसभा में जो मुश्किलें आई थीं, माना जा रहा है कि एसपी उससे एक हद तक उबर चुकी है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने भी संकेत दे ही दिए हैं कि वह बेटे के साथ हैं और शिवपाल भी अब खुद को पार्टी का अनुशासित सिपाही करार दे चुके हैं। ऐसे में निश्चित रूप से अखिलेश के सामने स्थितियां पहले से बेहतर हैं। निकाय चुनाव में पार्टी अकेले अपने बुते चुनाव लड़ने जा रही है। यूपी में इस समय बीएसपी की स्थिति सबसे खराब है। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की करारी हार के बाद पार्टी के पास अब अपने वजूद को बचाने की भी संकट है। ऐसे में निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन बीएसपी के लिए संजीवनी का काम कर सकती है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी इस अहमियत को समझती हैं। यही वजह है कि जहां पार्टी पहली बार अपने सिंबल पर निकाय चुनाव लड़ने जा रही है, वहीं अब अपने कोर वोटर (दलित) से पार्टी सीधे संवाद की तैयारी में भी जुट गई है। यूपी में कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है। विधानसभा चुनाव में एसपी के साथ गठबंधन के बावजूद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस लगातार बीजेपी से पिछड़ रही है। ऐसे में पार्टी के लिए यूपी निकाय चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। कांग्रेस भी इसे बखूबी समझती है। यही वजह है कि पार्टी ने निकाय चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर कमान संभाले हैं। सभी जिलों से प्रत्याशियों के पैनल मांगे गए हैं। यूपी निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की खर्च सीमा में इजाफा किया गया है। इस बार 80 वार्ड से अधिक वाले नगर निगमों में महापौर के प्रत्याशी प्रचार पर 25 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे। अभी तक यह सीमा 12.5 लाख रुपये थी। वहीं जिन निगमों में 80 से कम वार्ड हैं वहां खर्च की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये है। पार्षद प्रत्याशी दो लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे। पहले यह सीमा एक लाख थी। 41 से 55 वार्ड वाले नगर पालिका परिषदों के प्रत्याशी आठ लाख रुपये तक खर्च कर पाएंगे। वहीं 25 से 40 वार्ड तक के नगर पालिका परिषदों के प्रत्याशियों के लिए यह सीमा छह लाख रुपये है। नगर पालिका सदस्य प्रत्याशी 1.5 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे।
फैक्ट्स फाइल: नगर निगम, 198 नगर पालिका और 438 नगर पंचायत के लिए चुनाव। तीन चरणों में चुनाव। पहला चरण 22 नवम्बर, दूसरा 26 नवम्बर और तीसरा 29 नवम्बर को संपन्न होगा। वोटों की गिनती 1 दिसंबर को होगी। कुल 3.32 करोड़ मतदाता। 36289 बूथ और 11,389 पोलिंग सेंटर। पहले चरण के तहत कुल 25 जिलों के 5 नगर निगम, 71 नगर पालिका और 154 नगर पंचायत में मतदान। दूसरे चरण के तहत 25 जिलों के 6 नगर निगम, 51 नगर पालिका और 132 नगर पंचायत के लिए मतदान। तीसरे चरण में 26 जिलों के 5 नगर निगमों,76 नगर पालिका और 152 नगर पंचायत में चुनाव। साभार एनबीटी 
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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