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अनुप्रिया पटेल ने लिखा जूड़ापुर हत्याकांड के अपराधियों को छोड़ने का सिफारिशी पत्र

इलाहाबाद (जनज्वार के लिए अनुराग अनंत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट)। जूड़ापुर में 23 अप्रैल को हुए चार लोगों के हत्याकाण्ड के आरोपियों को बचाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने यूपी के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में मंत्री ने कहा है कि जेल में बंद मासूम बच्चों को छोड़ दिया जाए, नहीं तो उनका जीवन बर्बाद हो जाएगा। बलात्कार के बाद दो लड़कियों की हत्या, फिर लड़कियों के मां—बाप की हत्या के आरोपी अपराधियों का जीवन बर्बाद होने से बचाने में लगीं मंत्री सिर्फ सिफारिशी पत्र लिखकर नहीं रूकतीं, बल्कि वह अपनी पार्टी 'अपना दल' के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष सिंह के साथ यूपी के प्रमुख गृह सचिव से मिलकर भी उन मासूम अपराधियों को बचाने की पैरवी करती हैं। इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात कल इलाहाबाद में तब सामने आती हैं जब वह खुद 30 अक्टूबर को मीडिया को बताती हैं कि एसपी—डीएम का तबादला मैंने करवाया है। बाद में उनकी पार्टी के नेता बेखौफ बोलते हैं कि जो भी पटेलों पर हाथ डालेगा, उसको इसकी कीमत चुकानी होगी। उत्तर प्रदेश में एनडीए की प्रमुख घटक, अपना दल की संरक्षक और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने सोमवार को इलाहाबाद में न्यायमूर्ति रामसूरत सिंह की मृत्यु पर उनके आवास पर शोक करने पहुंची थीं। वहीं उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा "पटेलों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, डीएम-एसएसपी को मैंने हटवाया है।' यह मोदी के मंत्री का बयान है जो जाति की जरूरत के अनुसार डीएम—एसपी रखवाती—हटवाती हैं और खुद उसको बड़े गर्व से प्रचारित भी करती हैं। इस हत्याकांड में 23 अप्रैल को एक ही परिवार की एक महिला, दो लड़कियों और एक पुरुष की हत्या कर दी गयी थी। उसमें पुलिस ने पटेल युवकों को अभियुक्त बनाया है। जनज्वार ने इस हत्याकांड पर एक विस्तृत रिपोर्ट (शीर्षकः योगी सरकार मुकरी नौकरी से, डीएम करते हैं जलील) की थी। मारी गयी दो बहनों में सबसे बड़ी बबीता जनज्वार से बातचीत में बताती हैं कि 23 अप्रैल की रात कहर की रात थी, मैं हिमाचल प्रदेश में फार्मासिस्ट के कोर्स के इंटर्न अप्रेंटिक्स के लिए गयी थी और भाई प्रतापगढ़ में परीक्षा के लिए गया था। उसी रात घर पर माँ-पिता और दोनों छोटी बहनों की हत्या कर दी गयी। बहनों की हत्या से पहले बलात्कार भी किया गया और उन्हें प्राइवेट पार्ट्स को चाकुओं से गोद दिया गया। टुकड़े—टुकड़े कर दिए जालिमों ने बहनों के प्राइवेट पार्ट्स को।" इन्हीं 'मासूम' हत्यारों के के लिए मोदी सरकार की केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सिफारिशी पत्र लिखा है। सिफारिशी पत्र में राज्यमंत्री लिखती हैं, 'इस प्रकरण में 17 से 19 वर्ष की आयु के चार बच्चे जेल में बंद हैं, जिस संबंध में इनके परिवारी जनों ने क्षेत्रीय नागरिकों के साथ अधोहस्ताक्षरी से मिलकर आग्रह किया है कि इस प्रकरण से बच्चों का कोई लेना—देना नहीं है, बच्चों को वैमनस्यता/षड्यंत्रवश फंसाकर इनका भविष्य बर्बाद करने की योजना है।' 'मासूम बच्चों का भविष्य बर्बाद होने से बचाने' की अपील करने वाली केंद्रीय मंत्री का यह पत्र बताता है कि अपराधियों के बचाव में मंत्री को उतरने का यह साहस कहीं न कहीं सरकारी कार्यशैली से मिलता है, योगी जी और मोदी जी की प्रशासनिक अराजतकता से मिलता है, जिसमें मंत्री अपनी जाति और कुनबे को लेकर पिछली सरकारों की तरह बेलगाम हैं। जूड़ापुर हत्याकांड में अपने परिवार को न्याय दिलाने के लिए जूझ रहीं बबिता से अनुप्रिया पटेल के संदर्भ में पूछने पर कहती हैं, 'मैं इस पर अब क्या कह सकती हूँ। वो केंद्रीय मंत्री हैं वो जो कर रहीं है मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकती, हाँ इतना जरूर है हमसे सरकार ने जो वायदा किया था वो अभी तक अधूरा है। उस पर अभी कुछ नहीं किया गया है हमारे पास अभी भी आश्वासन ही हैं।' पर इस मामले में मोदी की मंत्री ने पत्र लिखने का साहस इसलिए किया, क्योंकि पुलिस ने रसूखदारों के दबाव में इसे जघन्य हत्याकांड को जाति के बीच खेल बना दिया है। पहले इस मामले में यादव जाति के लड़के पकड़े गए थे, जिसके बाद इलाके के यादव नेता और रसूखदार इकट्ठा होकर उनको निर्दोष साबित करने में जुटे रहे। 10 मार्च को होली से दो-तीन दिन पहले हमारी छत पर चार—पांच लड़के छिपकर बैठे थे और जब बहन हर्षिता ऊपर छत पर पेशाब करने गयी, तो उन्होंने उसे दबोच लिया। हर्षिता ने शोर मचाया तो हम सब ऊपर पहुंचे और शोर मचाया, पर कोई हमारी मदद को नहीं आया। हमने एक लड़के के मुंह से नकाब हटा कर देखा तो बांके लाल यादव का लड़का अजय यादव था। हम लोगों से 100 नंबर पर फोन करके पुलिस बुलाई और अजय समेत पांच लोगों के खिलाफ नामज़द रपट लिखाई। जवाहर लाल यादव का लड़का शिवबाबू यादव भी था। ये लड़के अक्सर दुकान पर आकर गालियां और फब्तियां कसते थे। रपट का कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि गाँव के प्रधान ओम प्रकाश उर्फ़ मदन यादव ने पुलिस को पांच हज़ार दिलवा कर उन्हें छुड़वा लिया। इस घटना के बाद जवाहर यादव और भाजपा नेता तुलसीराम यादव ने इसे यादव अस्मिता के साथ जोड़ दिया और अपने घर सभी यादवों की एक बैठक बुलाई गयी, जिसमें तय किया गया कि 'इस तेली को सबक सिखाना है, इसकी इतनी हिम्मत' इस बैठक के बाद उन लड़कों की हिम्मत बढ़ गयी और आये दिन वो गाली-गलौच करते रहते थे। हमारे पिता जी अकेले थे और दो—दो बहनें थीं। पुलिस भी उनसे मिल चुकी थी, इसलिए हम लोग बात टालते रहे। पर उन्होंने इसका फायदा उठाया और 23 अप्रैल को रात मेरे माँ-बाप और दोनों बहनों की निर्मम हत्या कर दी। इस हत्याकांड में यादव परिवार के पांच लड़के पकड़े गए। पर पुलिस ने उनकी चार्जशीट दाखिल होने से पहले ही इस हत्याकांड के अन्य नए चार आरोपियों सत्येंद्र कुमार पटेल, प्रदीप कुमार पटेल, मोहित पाल और नीरज मौर्या को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने यादव लड़कों छोड़ पटेल, पाल और मौर्या जाति के लड़कों की गिरफ्तारी उनके गुनाह कबूलनामे और कुछ साक्ष्यों की बरामदगी के बाद किया। अब इस मामले में सभी अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और ट्रायल शुरू हो गया है। जुड़ापुर के लोग कहते हैं कि अब पटेल जाति से ताल्लुक रखने वाली मंत्री अनुप्रिया पर पटेल समाज का दबाव है कि जब पुलिस ने यादव जाति के दबाव में पहले गिरफ्तार आरोपियों को छोड़ दिया, फिर क्या पटेल जाति कमजोर है जो उनके बदले हमारे लड़कों को गिरफ्तार कर लिया जाए और हम छुड़ा भी न पाएं। गौरतलब है कि पीड़ित परिवार की जाति गुप्ता हैं और वह बनिया समाज से आते हैं। इन सबके बीच पुलिस की भूमिका यह है कि एक ओर से सभी अधिकारी चाहें वह कोई भी हो सभी मानते हैं कि जुड़ापुर हत्याकांड की जांच से पहले ही इतने ज्यादा जातिगत और राजनीतिक दबाव आ चुके हैं, ट्रायल में भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जूड़ापुर गांव के एक दुकानदार नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि बबीता और उनके परिवार का पूरे गांव ने पटेलों के दबाव में सामाजिक बहिष्कार कर रखा है। बबीता की दुकान से कोई सामान खरीदते हुए कोई दिख जाएगा तो उस पर 500 रुपए का जुर्माना है। इसके अलावा फोन पर, रास्ते में मिलते हुए हमेशा पटेल लोग बबीता पर दबाव बनाते हैं कि वह मुकदमा वापस ले ले, नहीं तो उसके साथ वह वही करेंगे जो बहनों के साथ हुआ। इस संवेदनशील मुद्दे पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं, 'योगी जी ने कहा था सभी अफसर और मंत्री-विधायक अपनी सम्पति का ब्यौरा दें, क्या हुआ इस आदेश का? अनुप्रिया पटेल जी का ये बयान ही दिखाता है कि जांच और विवेचना और नौकरशाही की सिफारिश और तबादले के सम्बन्ध में जारी किये गए निर्देशों को कितनी गंभीरता से विधायकों मंत्रियों ने लिया है।' अपना दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि उन्होंने ही पार्टी की 17 अक्टूबर की रैली में पार्टी के अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल और मंत्री अनुप्रिया पटेल के समक्ष आवाज उठाई थी और पटेलों के उत्पीड़न की बात कही थी। और यह उसी का नतीजा है।' याद होगा छह महीने पहले उत्तर प्रदेश की कुर्सी पर बैठते ही योगी ने सुशासन का शिगूफा गढ़ना शुरू कर दिया और तड़ा-तड़ बयान और निर्देश जारी करते रहे। मंत्रियों को हिदायत दी कि वो नौकरशाही को अपने रसूख से प्रभावित नहीं करेंगे, जांच प्रक्रिया और विवेचना में दखलंदाजी नहीं करेंगे तथा अफसरों की सिफारिश और तबादले में संलिप्त नहीं पाए जायेंगे। तो सवाल है कि मंत्री महोदया का यह पत्र और कल इलाहाबाद के अखबारों में छपा उनका बयान क्या रामचरित मानस की चौपाइयां हैं जो वह अपने स्वजाती अपराधियों के बचाने के लिए पढ़ी जा रही हैं। साभार जनज्वार (मूल खबर पढ़ने के लिए लिंक देखिएः http://www.janjwar.com/post/pm-modi-cabinet-minister-anupriya-patel-ne-likha-judapur-murder-case-ke-apradhiyon-ko-chhodane-ka-si)
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