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1.93 लाख वोटों से कांग्रेस ने जीती गुरदासपुर लोकसभा सीट, बीजेपी की हुई करारी हार

यह भी पढ़ेंः करारी शिकस्त से बौखलाई बीजेपी, केरल में नेता सरोज पाण्डेय बोलीं, विरोधियों की आँखें निकाल लेंगे, ये हैं गुरदासपुर में कांग्रेस की जीत के खास कारण
नई दिल्ली/गुरदासपुर। बीजेपी को करारी शिकस्त देते हुए कांग्रेस ने पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट जीत ली है। कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ ने 1.93 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। यह सीट बीजेपी सांसद और अभिनेता विनोद खन्ना के निधन से खाली हुई थी। मैदान में बीजेपी के स्वर्ण सलारिया और आप के सुरेश कुमार खजूरिया भी हैं। यहां 11 अक्टूबर को वोट डाले गए थे। इस उपचुनाव में करीब 15.22 लाख वोटरों में से 56% लोगों ने मतदान किया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर में 70% वोटिंग हुई थी। अप्रैल में विनोद खन्ना के निधन के बाद ये लोकसभा सीट खाली हुई थी। गुरदासपुर संसदीय सीट में 9 विधानसभा क्षेत्र भोआ, पठानकोट, गुरदासपुर, दीनानगर, कादियां, फतेहगढ़ चूड़ियां, डेरा बाबा नानक, सुजानपुर और बटाला हैं। 6 विधानसभा सीटों की काउंटिंग के लिए गुरदासपुर के सुखजींद्र कॉलेज, बाकी की 3 सीटों के लिए पठानकोट में सेंटर बनाया गया है। चुनाव आयोग मतगणना के दौरान गुरदासपुर में शराब की बिक्री और सप्लाई पर पूरी तरह पाबंदी लगाई हुई है। साभार नवजीवन  
करारी शिकस्त से बौखलाई बीजेपी, केरल में नेता सरोज पाण्डेय बोलीं, विरोधियों की आँखें निकाल लेंगे 
गुजरात में राज्यसभा चुनाव, महाराष्ट्र में नांदेड़ स्थानीय निकाय के चुनाव, पंजाब में गुरदासपुर लोकसभा सीट और केरल में वेंगारा उपचुनाव में करारी शिकस्त से बीजेपी के पसीने छूट गए हैं और उसके नेताओं के बोल बिगड़ने लगे हैं। बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडेय ने केरल में ऐसा बयान दिया है जिससे न सिर्फ जंगलराज का एहसास होता है बल्कि बीजेपी की हताशा भी जाहिर होती है। सरोज पांडेय ने कहा है कि 'अब हमारे कार्यकर्ताओं को आंख दिखाई या उन पर हमला हुआ, तो घर में घुसकर आंख निकाल लेंगे।' सरोज पांडे यहीं नहीं रुकीं और उन्होंने बीजेपी की उस विचारधारा की बानगी भी दिखादी जिससे पता चलता है कि बीजेपी नेता संवैधानिक तरीके मानने में विश्वास नहीं रखते। सरोज पांडेय ने कहा कि बीजेपी के देश भर में 11 करोड़ सदस्य हैं। अगर केरल में ज्यादती होती है, तो केंद्र की बीजेपी सरकार केरल की सरकार को फौरन बर्खास्त कर देगी। हाल के दिनों में केरल में संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले हुए हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इसके विरोध में केरल की वामपंथी सरकार के खिलाफ जनरक्षा यात्रा भी की है, लेकिन इसका कोई असर केरल के लोगों पर नजर नहीं आ रहा है। दरअसल बीजेपी को केरल विधानसभा की वेंगारा सीट के उपचुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। यहां कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ के सहयोगी संगठन इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, आईयूएमएल के उम्मीदवार के एन ए खादर भारी जीत दर्ज की है। मुस्लिम लीग को 65 हजार से ज्यादा वोट मिले जबकि बीजेपी चौथे नंबर पर रही। मुस्लिम लीग के प्रमुख पी के कुन्हलिकुट्टी के अप्रैल में मल्लपुरम से लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) की दूसरी सबसे बड़ी घटक आईयूएमएल ने दो बार विधायक रह चुके खादर को मैदान में उतारा था। साभार नवजीवन
गुरदासपुर में कांग्रेस की जीत के पांच कारण 
चंडीगढ़ से बीबीसी संवाददाता अरविंद छाबड़ा लिखते हैं कि कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने बीजेपी-अकाली गठजोड़ के उम्मीदवार स्वर्ण सलारिया को 1.93 लाख वोटों से शिकस्त दी. सुनील जाखड़ के पक्ष में 4,99,752 वोट पड़े और उनके सबसे क़रीबी उम्मीदवार रहे स्वर्ण सलारिया को 3,06,533 वोट मिले. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मेजर जनरल सुरेश कथूरिया के पक्ष में महज 23,579 वोट ही पड़े. उपचुनाव में केवल 56 फीसदी वोटिंग हुई. नतीज़े बताते हैं कि सात महीने पुरानी कांग्रेस की सरकार के ख़िलाफ़ लोगों में कोई बड़ी नाराज़गी नहीं थी. ये साफ है कि लोग कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के बारे में कोई राय बनाने से पहले उन्हें थोड़ा वक्त देना चाहते हैं. बीजेपी और अकालियों की तुलना में कांग्रेस लोगों के सामने ज्यादा एकजुट और संगठित नज़र आई. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल चुनाव प्रचार में नहीं दिखे. हालांकि इसकी वजह उनका ख़राब स्वास्थ्य बताया गया. दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, वित्त मंत्री मनप्रीत बादल और नवजोत सिंह सिद्धू ने सुनील जाखड़ का प्रचार किया. स्वर्ण सलारिया की छवि भी उनके लिए परेशानी का सबब बनी. बलात्कार का आरोप लगने से उनकी संभावनाएं और कमज़ोर हो गई थीं. हालांकि सलारिया ने इन आरोपों से इनकार किया. उधर, सुनील जाखड़ के ख़िलाफ़ कोई आरोप नहीं था. हालांकि बीजेपी ने जाखड़ को निर्वाचन क्षेत्र में बाहरी उम्मीदवार के रूप में प्रचारित किया था. शिरोमणी अकाली दल के नेता सुच्चा सिंह लंगा पर लगे बलात्कार के आरोप से भी अकाली-बीजेपी उम्मीदवार की संभावनाएं कमजोर हुईं. हालांकि अकालियों ने सुच्चा सिंह को बाहर का दरवाजा दिखा दिया, लेकिन इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. कुछ जानकार इसे जीएसटी और किसानों को लेकर मोदी सरकार की नीति पर लोगों का फैसला भी बता रहे हैं. साभार बीबीसी
राजीव रंजन तिवारी (संपर्कः 8922002003)
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