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अखिलेश के सपा से निष्कासन के बाद फिलहाल उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन है?

लखनऊ (भरत शर्मा बीबीसी संवाददाता) । समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने परिवार में मचे घमासान के बीच शुक्रवार शाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। इस पूरी उठापटक के बीच ये गंभीर सवाल खड़ा हो गया कि अखिलेश के पार्टी से निष्कासन के बाद क्या वो राज्य के मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि अभी तो अखिलेश की कुर्सी बची हुई है, लेकिन कब तक, ये पूरी तरह राज्यपाल और विधायकों पर निर्भर करता है। जाने-माने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने बीबीसी से कहा, ''उत्तर प्रदेश में फिलहाल दो अलग-अलग हालात हैं। एक तो राजनीतिक स्थिति है। दूसरी संवैधानिक।'' कश्यप ने कहा, ''जहां तक संवैधानिक स्थिति का सवाल है, तो जब तक मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को सदन का बहुमत हासिल है, वो पद पर बने रह सकते हैं।'' उन्होंने कहा, ''अगर राज्यपाल के पास इस तरह की कोई याचिका जाती है कि मुख्यमंत्री ने बहुमत खो दिया है और राज्यपाल संतुष्ट होते हैं कि बहुमत संदेह के घेरे में है, तो वो उन्हें बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं।'' अखिलेश कब तक मुख्यमंत्री पद पर रहेंगे, इसके जवाब में कश्यप ने कहा, ''जब तक उनके पास सदन में बहुमत है, पार्टी से निकाले जाने का संवैधानिक दृष्टि से उनके मुख्यमंत्री पद पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। सदन का बहुमत हासिल है, ये ज़रूरी है। अगर बहुमत हासिल है, तो वो मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। अगर बहुमत नहीं है, तो वो सीएम नहीं रहेंगे।'' क्या सपा से निकाले जाने के बाद उन्हें बहुमत साबित करने की ज़रूरत नहीं है, सुभाष कश्यप ने कहा, ''जब तक राज्यपाल को ये विश्वास नहीं हो जाता है कि उनका बहुमत संदेह के घेरे में आ गया है, तब तक।'' उन्होंने कहा, ''मान लीजिए कि अखिलेश भी राज्यपाल के पास जाते हैं और कहते हैं कि मुझे पार्टी के विधायकों का और दूसरी पार्टियों के विधायकों का समर्थन हासिल है। मेरे पास बहुमत है, तो फिर ये राज्यपाल के विवेक पर होगा कि वो तय करें कि कौन सही बोल रहा है। अगर उन्हें लगेगा कि बहुमत नहीं है, तो वो साबित करने के लिए कहेंगे अथवा नहीं।'' क्या तब तक राज्य में कोई संवैधानिक संकट है, कश्यप ने कहा, ''नहीं, जब तक सदन के अंदर विश्वास मत हासिल है, कोई संवैधानिक संकट नहीं है।''
सिडनी से सियासत तक अखिलेश यादव का सफर 
अखिलेश यादव देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। 38 साल की उम्र में मार्च 2012 में वह देश के सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय राजनीति में अखिलेश युवा राजनेता के रूप में चर्चित रहे। अखिलेश का जन्म एक जुलाई, 1973 में उत्तर प्रदेश में इटावा ज़िले के सैफई गांव में हुआ था। उनके पिता उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव हैं। मुलायम सिंह ने ही समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी। अखिलेश की मां मालती देवी थीं। मालती देवी मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी थीं। अखिलेश ने स्कूल की पढ़ाई राजस्थान के धौलपुर सैनिक स्कूल से की थी। इसके बाद उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से सिविल इन्वाइरन्मेंटल इंजीनियरिंग में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री ली। अखिलेश ने यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी से भी पढाई की। अखिलेश यादव एक इंजीनियर, एग्रिकल्चरिस्ट और सामाजिक-राजनीतिक वर्कर हैं। सिडनी में पढ़ाई के दौरान ही अखिलेश को पॉप म्यूजिक का चस्का लगा था। 24 नवंबर 1999 को अखिलेश यादव की शादी डिंपल यादव से हुई। अखिलेश और डिपंल की दो बेटियां (अदिति, टीना) और एक बेटा अर्जुन है। अखिलेश फुटबॉल और क्रिकेट में दिलचस्पी रखते हैं। वह खाली वक्त में किताब पढ़ना, म्यूजिक सुनना और फ़िल्म देखना पसंद करते हैं। 2000 में पहली बार अखिलेश यादव 27 साल की उम्र में कन्नौज से लोकसभा सांसद चुने गए। इसके बाद वह लगातार दो बार सासंद चुने गए। 10 मार्च, 2012 में अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया। 15 मार्च, 2012 में वह देश में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। अखिलेश यादव के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी पहचान जाति से हटकर बनाई।साभार-बीबीसी
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