ताज़ा ख़बर

पूर्वांचल में भी कन्हैया, यूपी की सियासत में इस बदलाव की आहट से बेचैन हैं राजनीतिक पार्टियां!

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद स्थित ग्राम भस्मा में सर्वधर्म समभाव के उत्थान के लिए धरा धाम परिसर में होने वाले निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने की चर्चा से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मियां 
राजीव रंजन तिवारी 
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की सियासत पूरी तरह संभावनाओं पर टिकी हुई लगती है। यहां कब, कौन शिखर पर चला जाए और कब सिफर हो जाए, कहा नहीं जा सकता। इसी क्रम में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की चर्चा, जहां अगले वर्ष यानी दो माह बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य की राजनीति में अव्वल रहने के लिए केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा से लेकर राज्य में सत्तासीन सपा तक और कांग्रेस एवं बसपा द्वारा खूब जोर लगाया जा रहा है। वैसे, चुनाव परिणाम का ऊंट किस करवट बैठेगा, इस बारे में अभी किसी तरह का आकलन जल्दबाजी होगी। हां, इतना जरूर है कि अभी से अमूमन सारी पार्टियों द्वारा जबर्दस्त तैयारी की जा रही है और चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। यूं कहें कि यूपी में गहमागहमी काफी तेज हो गई है। इस बीच हिन्दुवादी राजनीति की जड़ कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में आजकल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की आहट सुनाई पड़ रही है। यहां की सियासी फिजा में गूंज रही कन्हैया कुमार की चर्चा के राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। पूछा जा रहा है कि कन्हैया पूर्वांचल में आकर किस राजनीतिक पार्टी की मदद करेंगे। राजनीति के जानकारों का सवाल ये भी है कि आखिर कन्हैया कुमार की आहट का औचित्य क्या है? गौरतलब है कि कुछ माह पहले दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी में जेएनयू परिसर में कथित भारत विरोधी नारेबाजी से जुड़े देशद्रोह के एक मामले में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और दो अन्य छात्रों को नियमित जमानत दे दी और कहा कि उन्हें राहत नहीं देने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को बेहद परेशानी हुई जो कन्हैया को सियासी पचड़े में फंसाकर अपनी राजनीतिक सिद्धि करने की जुगत में थे। यूं कहें कि कोर्ट ने यह मान लिया कि कन्हैया कुमार और उनके साथियों को देशद्रोही नहीं कहा जा सकता। गौरतलब है कि कन्हैया ने एक याचिका ऐसे समय दायर की जब दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 अगस्त को नियमित जमानत का उनका अनुरोध ठुकरा दिया था और उनसे इस संबंध में सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाने को कहा था। हाईकोर्ट ने उन्हें 2 मार्च को छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी, जिसकी अवधि एक सितंबर को समाप्त हो गई। खैर, कोर्ट से नियमित जमानत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस व भाजपा नेताओं द्वारा कन्हैया कुमार व उनके साथियों पर जो आरोप लगाए गए थे, वो सब फर्जी साबित हुए। आपको बता दें कि फरवरी माह में जेएनयू कैम्पस में हुई घटना के बाद जेल से लौटे कन्हैया कुमार ने अपना जो पहला भाषण दिया था, उससे उन्हें काफी वाहवाही मिली थी। अपने शानदार भाषण से कन्हैया रातोंरात दुनियाभर में चर्चित हो गए और उनका वह भाषण काफी दिनों तक फेसबुक, ट्वीटर और व्हाट्स एप्प पर वायरल होता रहा। इससे हिन्दुवाद और भाजपा की राजनीति करने वाले लोग खुद को असहज महसूस करने लगे थे। लगता है नियमित जमानत मिलने के बाद से कन्हैया कुमार ने भी अपने राजनीतिक विरोधियों से हिसाब करने का मन बना लिया है। राजनीति के जानकार यूपी की चुनावी गहमागहमी पर काफी बारीकी से नजर रख रहे हैं। एसे में हर तरह के बनते-बिगड़ते घटनाक्रमों को कलमबद्ध किया जा रहा है। इस बीच हिन्दुवादी राजनीति और भाजपा का गढ़ माने जाने वाले यूपी के गोरखपुर इलाके में कन्हैया कुमार की पैठ बनाने की खबरें गूंज रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे यूपी में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव और केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के विरोध से भी जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि यूपी के इस इलाके में कन्हैया कुमार का क्या असर होगा ये तो बाद में पता चलेगा लेकिन इस चर्चित छात्र नेता की राजनीतिक चर्चाओं ने भाजपा खेमे में हलचल मचा रखी है। उल्लेखनीय है कि गोरखपुर जनपद के भस्मा गांव में सर्वधर्म समभाव की स्थापना के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के कुछ निर्माण कराए जाने हैं। धरा धाम ट्रस्ट द्वारा एक ही परिसर में मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, गुरूद्वारा समेत कई धर्मों के प्रतीक स्थल तथा एक धरती माता का मंदिर बनाने की प्रक्रिया चल रही है। कहा जा रहा है कि धरती माता का मंदिर भी शायद दुनिया का पहला अनूठा मंदिर होगा। इसी परिसर से सर्वधर्म समभाव के संदेश को न सिर्फ यूपी और भारत बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों तक पहुंचाने की योजना पर काम चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि धरा धाम ट्रस्ट परिसर में होने वाले करीब साढ़े तीन सौ करोड़ की लागत वाले निर्माण का शिलान्यास जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के हाथों कराने की चर्चा है। हालांकि अभी शिलान्यास की तिथि घोषित नहीं है, फिर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस संदर्भ में धरा धाम के प्रमुख सौरभ पाण्डेय से बात हुई तो उन्होंने यह स्वीकारा कि परिसर में होने वाले निर्माण कार्यों का शिलान्यास बहुत जल्द होगा। शिलान्यास कौन करेगा, इस सवाल को टालते हुए सौरभ पाण्डेय ने कहा कि सर्वधर्म समभाव में आस्था और विश्वास रखने वाले किसी चर्चित व्यक्ति से ही शिलान्यास कराया जाएगा। शिलान्यासकर्ता के रूप में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के नाम की चर्चा पर सौरभ पाण्डेय ने संभावनाओं से इनकार तो नहीं किया, पर ये जरूर कहा कि अभी इस तरह की कोई बात नहीं है। उधर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में गहरी आस्था रखने वाले एक भाजपा नेता ने कहा कि गोरखपुर इलाके में कन्हैया कुमार की सियासी घुसपैठ यहां की हिन्दुवादी विचारधारा के लिए घातक है। उन्होंने दबी जुबान से स्वीकारा कि यदि कन्हैया कुमार ने अपने साथ युवाओं को जोड़कर हिन्दुवाद विरोधी और सर्वधर्म समभाव के पक्ष में अभियान चलाना आरंभ कर दिया तो पूर्वांचल में हिन्दुवाद की जड़े कमजोर हो सकती हैं, जिसका आगामी दिनों में भारी नुकसान भी हो सकता है। बता दें कि जेल से छुटने के बाद जेएनयू कैम्पस में दिए गए अपने पहले भाषण में कन्हैया कुमार ने कहा था- ‘मैं जेएनयू से चुनौती देता हूं आरएसएस विचारकों को। उसे बुलाओ और करो हमारे साथ बहस। हम करना चाहते हैं हिंसा की अवधारणा पर बहस।’ शायद यही वजह है कि संघ के लोग कन्हैया कुमार से खफा रहते हैं। दरअसल, कन्हैया संघ की विचारधारा को चुनौती देते रहते हैं। जानकारों का कहना है कि यूपी का गोरखपुर का इलाका ही हिन्दुवाद के लिए सबसे अधिक उर्वरा माना जाता है। गोरखपुर में ही गोरखनाथ मंदिर हैं, जिसके प्रमुख भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ हैं। बताते हैं कि राम मंदिर के आंदोलन की रणनीति भी गोरखनाथ मंदिर से ही बनाई गई थी, जो पूरे देश भर में चली। इसी धरती पर सर्वधर्म समभाव की चर्चा छेड़कर कन्हैया कुमार के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराना निश्चित ही हिन्दुवाद के लिए खतरा के संकेत है। कुछ लोग इसे योगी आदित्यनाथ के लिए भी चुनौती के रूप में देख रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि कन्हैया कुमार सर्वधर्म समभाव की राजनीतिक चर्चा की शुरूआत पूर्वांचल से करेंगे और पूरे यूपी समेत अखिल भारत तक इस अभियान को ले जाएंगे। बहरहाल, अब देखना है कि कन्हैया कुमार को लेकर यहां जिस तरह की चर्चाएं छिड़ी हैं, उसके अमलीजामा पहनने के बाद क्या होता है और कन्हैया किस राजनीतिक दल को मदद पहुंचाते हैं?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक व चर्चित स्तंभकार हैं, इनसे फोन नं. +91 8922002003 पर संपर्क किया जा सकता है.)
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: पूर्वांचल में भी कन्हैया, यूपी की सियासत में इस बदलाव की आहट से बेचैन हैं राजनीतिक पार्टियां! Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in