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नीतीश कुमार का नाम लिए बिना पटना की रैली में ममता बनर्जी ने कहा ‘गद्दार’

पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रोडशो बुधवार को बिहार की राजधानी पटना में था, लेकिन इस रोडशो को यहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अच्छी और उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया नहीं मिली. अपनी रैली में ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया, लेकिन 'एक गद्दार' को उलाहना दिया, जिसने उनके मुताबिक "धोखा दिया और जिसे जनता से माफी नहीं मिलेगी..." उन्होंने बिहार सरकार में नीतीश कुमार के सहयोगी लालू प्रसाद यादव और विमुद्रीकरण के खिलाफ उनकी जंग में उनके समर्थन का खास ज़िक्र किया. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल के सूत्रों ने बताया कि ममता ने अपने भाषण में बिहार के मुख्यमंत्री के बारे में कोई जिक्र या इशारा नहीं किया. हालांकि संकेतों में ममता बनर्जी ने साफ तौर पर कहा कि ऐसे वक्त में जब प्रवासी बिहारी कामगार नौकरियां गंवा रहे हैं और उन्हें भोजन तक नसीब नहीं हो पा रहा है, तो इस हालात में बिहार के नेताओं को इन मजदूरों का समर्थन करना चाहिए. ममता बनर्जी ने मंगलवार को पटना में लैंड करने के बाद भी अपने सहायकों से शिकायत की थी कि नीतीश कुमार द्वारा उनकी अगवानी के लिए किसी वरिष्ठ मंत्री को तैनात नहीं करना भी ठीक नहीं था. इसी सप्ताह की शुरुआत में जब ममता बनर्जी ने लखनऊ में पीएम के खिलाफ रैली की थी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद उनकी अगवानी के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे, और उन्होंने रैली में भाग लेने के लिए अपने मंत्रियों को भी भेजा था. लगातार दूसरी बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद पर पहुंचीं ममता बनर्जी को बिहार में राजकीय अतिथि जैसा सत्कार दिया जा रहा है. वह मुख्यमंत्री आवास के ठीक सामने ठहरी हुई हैं, लेकिन बुधवार दोपहर बाद तक भी नीतीश कुमार ने उनसे मुलाकात नहीं की थी. मंगलवार रात को लालू प्रसाद यादव से मिलने गई थीं, जहां लालू की पत्नी राबड़ी देवी के साथ उन्होंने तस्वीरें भी खिंचवाई थीं. हालांकि लालू प्रसाद यादव के दोनों पुत्रों, जो राज्य सरकार में मंत्री हैं, ने ममता के प्रदर्शन में शिरकत नहीं की, लेकिन लालू ने एक वरिष्ठ मंत्री को कार्यक्रम में भेजा था. नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी को उनसे बनाई गई दूरी से हैरान नहीं होना चाहिए. वह लगातार काले धन के खात्मे की खातिर पुराने नोटों को बंद कर देने के लिए प्रधानमंत्री का समर्थन करते आ रहे हैं, और भले ही वह नकदी संकट पैदा होने और बैंकों व एटीएम पर लगी लंबी-लंबी लाइनों की आलोचना भी कर रहे हैं, लेकिन वह ऐलान कर चुके हैं कि विमुद्रीकरण के खिलाफ सड़कों पर हो रहे प्रदर्शनों में उनकी पार्टी शामिल नहीं होगी. प्रधानमंत्री को समर्थन से बीजेपी के साथ नए समीकरण बनने के संकेतों की अटकलों के बीच मंगलवार शाम को नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के विधायकों से कहा था कि उनकी ओर से कोई राजनैतिक पुनर्विचार नहीं हो रहा है. सोमवार रात को बहुत नाटकीय अंदाज़ में उन्होंने कहा था कि जो लोग बीजेपी से गठबंधन दोबारा जुड़ जाने की बातें कर रहे हैं, वे उनकी 'राजनैतिक हत्या' करना चाहते हैं. नीतीश कुमार ने लालू की पार्टी के विधायकों को यह भी बताया कि जब ममता बनर्जी ने दिल्ली में राष्ट्रपति को ज्ञापन देने जाने के लिए प्रोटेस्ट मार्च का हिस्सा बनने के लिए कहा था, तब भी उन्होंने साफ इंकार कर दिया था, और कहा था कि राष्ट्रपति इस कदम को पहले ही मंज़ूरी दे चुके हैं. नीतीश कुमार के सहायकों के अनुसार ममता बनर्जी को इस मुद्दे पर मौजूद इन मतभेदों को दूरी बनने के संकेतों के रूप में नहीं देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार सार्वजनिक रूप से बिहार में लागू किए गए कड़े शराबबंदी कानूनों की बात करते हैं, वह खासतौर पर इस बात का ध्यान रखते हैं कि शराब बेचने की अनुमति देने वाले राज्यों के साथ बंगाल का नाम नहीं लें. नीतीश कुमार की टीम इस ओर भी इशारा करती है कि जब ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रही थीं, नीतीश कुमार अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में भी बंगाल नहीं गए थे, और ममता के शपथग्रहण समारोह में भी शामिल हुए थे.
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