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नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ पर बिफरा विपक्ष कश्मीर में 51 दिन से कर्फ्यू के लिए मांगा जवाब

नरेन्द्र मोदी से सवालः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मनीष तिवारी
नई दिल्ली। कांग्रेस और जद (यू) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो संबोधन की आलोचना करते हुए कहा कि अगर परेशानी पैदा करने में सिर्फ पांच फीसदी लोग शामिल हैं तो क्यों सरकार कश्मीर में कर्फ्यू हटाने में सक्षम नहीं हो सकी है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्विटर पर लिखा, ‘अगर प्रधानमंत्री मानते हैं कि सिर्फ पांच फीसदी लोग परेशानी पैदा कर रहे हैं तो क्यों केंद्र और राज्य सरकार इसे रोकने में सक्षम नहीं है। क्यों 51 दिन के लिए कर्फ्यू।’ उन्होंने मोदी से ‘एकतरफा संवाद करने की बजाय कश्मीरी लोगों के मन की बात सुनने को कहा।’ अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में घाटी में अशांति पर बात करते हुए मोदी ने कहा, ‘कश्मीर पर सभी दलों के साथ जो मैंने संवाद किया उससे एक बात उनलोगों से उभरकर सामने आई है, उसे सरल शब्दों में कहा जा सकता है ‘एकता’ और ‘ममता।’ ये दो बातें बुनियादी मंत्र हैं।’ तिवारी ने कहा, ‘क्यों सामान्य जीवन पंगु हुआ। क्यों इंटरनेट सेवाएं बाधित हुईं। प्रधानमंत्री को एकतरफा संवाद करने की बजाय कश्मीरी लोगों के मन की बात को अवश्य सुनना चाहिए।’ कश्मीर मुद्दे पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश की जनता कश्मीर में टिकाउ शांति चाहती है लेकिन जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री का बयान ऐसा साबित नहीं करता है। सुरजेवाला ने कहा, ‘भारत की जनता कश्मीर में टिकाउ शांति चाहती है। वह शांति मरहम लगाने, विकास प्रक्रिया दोबारा शुरू करके आएगी। वह शांति उन लोगों को वापस लाकर आएगी, जो राष्ट्रीय मुख्यधारा से दूर चले गए हैं।’उन्होंने कहा, ‘शांति हरेक तबके से संवाद करके आएगी। क्या मोदीजी ऐसा कर रहे हैं, मुझे ऐसा नहीं लगता। क्या महबूबा मुफ्ती ऐसा करना चाह रही हैं। उनका बयान ऐसा साबित नहीं करता है।’ जनता दल (यूनाइटेड) नेता के सी त्यागी ने कहा, ‘अगर पहल की जाती है तो हर राजनैतिक दल पीएम का समर्थन करता है। उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंधों के सामान्यीकरण का प्रयास किया। एक राजनैतिक दल का नाम मुझे बताएं, जिसने उनका विरोध किया। उन्होंने कश्मीर में शांति सुनिश्चित करने के लिए कुछ नहीं किया है।’ प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए तिवारी ने कहा कि समस्या यह है कि ‘जब आप समस्या की सही तरीके से पहचान नहीं करते हैं तो उसका समाधान भी नहीं ढूंढ पाएंगे।’ उन्होंने कहा, ‘अगर प्रधानमंत्री और कश्मीर की मुख्यमंत्री मानती हैं कि सिर्फ पांच फीसदी लोग समस्या पैदा कर रहे हैं तो यह सवाल खड़े करता है कि क्यों राज्य सरकार और केंद्र सरकार मुद्दे पर काबू नहीं कर पा रही है।’ उन्होंने कहा, ‘क्यों 51 दिन से कर्फ्यू लागू है। क्यों कश्मीर घाटी में जनजीवन अस्तव्यस्त है। क्यों इतने लोग मारे गए हैं और अनेक लोग पैलेट गन से घायल हुए हैं। क्यों इंटरनेट सेवा राज्य सरकार ने बंद कर दी है।’ तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’ का मतलब नहीं समझते हैं। उन्होंने कहा, ‘इसलिए प्रधानमंत्री को समस्या की गंभीरता को समझना चाहिए कि जम्मू कश्मीर में ऐसी ताकतें हैं, जो चुनावी मुख्यधारा के बाहर हो सकते हैं लेकिन अगर आप हालात को नियंत्रण में लाना चाहते हैं तो आपको उन तक पहुंचने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’ के बारे में बात करते हैं लेकिन इन शब्दों का मतलब नहीं जानते हैं।’ तिवारी ने कहा कि इसलिए प्रधानमंत्री को पहले समस्या की पहचान करने की आवश्यकता है क्योंकि हर वक्तव्य में आप विरोधाभास और यूटर्न देखते हैं।
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