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कश्मीर के प्रदर्शनों को जनमत संग्रह मानें: सलाहुद्दीन

मुफ़्फ़राबाद (मिर्ज़ा औरंगज़ेब जराल पाक प्रशासित कश्मीर से बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए)। भारत प्रशासित कश्मीर में प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ सुरक्षा बलों की कार्रवाई के विरोध में बुधवार को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में लोग सड़कों पर उतरे. इस मार्च में मुत्तेहिदा जिहाद काउंसिल के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन ने एलान किया कि 'हिंदुस्तान से कश्मीर की आज़ादी सिर्फ़ बंदूक के ज़रिए मुमकिन हो सकती है.' कश्मीर घाटी में पिछले दिनों हिज़्बुल मुजाहिदीन के चरमपंथी बुरहान वानी की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद हुए व्यापक प्रदर्शनों में 32 लोगों की मौत हुई है. इसके विरोध में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की राजधानी मुजफ़्फ़राबाद में निकले मार्च में हिज़्बुल मुजाहिदीन के सैकड़ों सदस्यों के अलावा आम लोगों ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया. बीस से ज़्यादा चरमपंथी गुटों के संगठन मुत्तेहिदा जिहाद काउंसिल के प्रमुख के अलावा कई और गुटों के मुखिया इस मार्च में मौजूद थे. इस मौके पर सैयद सलाहुद्दीन ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र अपना दोहरा रवैया छोड़े और कश्मीर में जारी विरोध को हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ जनमत संग्रह माने वरना कोई भी ताक़त दक्षिणी एशिया समेत दुनिया की शांति को तबाह होने से नहीं रोक सकती है. सलाहुद्दीन ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की सरकार की भी जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की संसद के सदनों का सत्र बुलाकर भारत के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया जाए. ये मार्च 13 जुलाई को 'कश्मीरी शहादत दिवस' के मौक़े पर आयोजित किया गया. इसी दिन 1931 में डोगरा राजा के आदेश पर हुई कार्रवाई में 22 निहत्थे कश्मीरी मुसलमानों की मौत हो गई थी. इसी की याद में 13 जुलाई को 'कश्मीरी शहादत दिवस' मनाया जाता है. 
आजाद बोले, कश्मीर की हिंसा संघ का एजेंडा थोपने का नतीजा 
बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में हुई हिंसा पर कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस ने साफ कहा है कि कश्मीनर में आररएसएस का एजेंडा थोपे जाने के बाद घाटी के लोग उग्र हो चुके हैं। बुरहान की मौत के बाद जो हिंसा हुई है, उसे एक तरह से एजेंडे की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है। पार्टी के वरिष्ठे नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि घाटी में जो हो रहा है उसकी जिम्मेीदारी केंद्र की मोदी सरकार को लेनी ही होगी। उन्हों नेे कहा कि जम्मू-कश्मीर में भड़की बड़े पैमाने पर हिंसा घाटी में आरएसएस का एजेंडा ‘थोपे जाने’ के खिलाफ ‘प्रतिक्रिया’ है। उन्होंसने कहा कि घाटी की वर्तमान स्थिति को देखने के बाद भाजपा को यह स्वीकार करना चाहिए कि उसने राज्य में सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय पार्टी पीडीएफ पर यह कहकर दबाव बनाया था कि अगर उसने सरकार नहीं बनाई तो वह धन नहीं देगी। उन्होंयने कहा कि भाजपा ने महबूबा मुफ़ती पर दबाव बनाया कि गठबंधन सरकार नहीं बनने पर जम्मूद कश्मीहर को आर्थिक अनुदान नहीं दिया जाएगा। आजाद ने कहा कि मोदी सरकार को जम्मू-कश्मीर में जो हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी।’ केंद्र सरकार को महबूबा सरकार को सहयोग करते हुए घाटी में अमन चैन दोबारा कायम करने का प्रयास करना चाहिए।
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