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अरुणाचल में नई सरकार का गठन, कलीखाओ पुल बने सीएम

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नई सरकार के गठन का रास्ता साफ किए जाने के बाद अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया और कांग्रेस के बागी नेता कलीखाओ पुल के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हो गया। राष्ट्र पति शासन हटने के कुछ घंटों के भीतर ही कलीखाओ पुल ने मुख्येमंत्री पद की शपथ ले ली। इससे पहले शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्यु में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ कर दिया था। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अरुणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने की केद्रीय मंत्रिमंडल की अनुशंसा को स्वीकृत प्रदान कर दी। कांग्रेस नेता और हटाए गए मुख्यमंत्री नबाम तुकी को आखिरी झटका सुप्रीम कोर्ट से मिला था। तुकी विधानसभा में बहुमत साबित करने करने का मौका पाना चाह रहे थे लेकिन शीर्ष अदालत ने अंतरिम निर्देश के उनके आग्रह को ठुकरा दिया। कैबिनेट ने बीते बुधवार को अरुणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की थी। इससे पहले कांग्रेस के बागी विधायकों एवं भाजपा और निर्दलीय विधायकों सहित 31 सदस्यों ने राज्यपाल जेपी राजखोवा से मुलाकात कर नई सरकार के गठन का दावा किया था। पुल के नेतृत्व में कांग्रेस के बागियों की बगावत के बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था जिसके बाद 26 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। खबर है कि तुकी को 60 सदस्यीय विधानसभा में 26 विधायकों का समर्थन हासिल है। पहले अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के 47 सदस्य थे, लेकिन 21 सदस्यों ने तुकी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी और राज्य में राजनीति संकट खड़ा हो गया। भाजपा के 11 विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों ने नई सरकार के गठन के प्रयास में बागियों का समर्थन किया था। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया। सुप्रीम कोर्ट अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार कर रहा था। केंद्र ने जब राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा की तो कांग्रेस ने सर्वोच्च अदालत का रुख किया और 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने से संबंधित न्यायिक एवं विधायी रिकॉर्ड की छानबीन किए जाने तक राज्य में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश आया था। बहरहाल, गुरुवार को न्यायालय ने सरकार बनाने का रास्ता वस्तुत: साफ करते हुए यथास्थिति बनाए रखने के अपने आदेश को हटा दिया क्योंकि उसने 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने पर रोक लगाने के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश पर संतुष्टि जताई। कांग्रेस ने शुक्रवार को फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन देश की शीर्ष अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। पार्टी ने विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करने की अनुमति दिए जाने को लेकर अंतरिम आदेश की मांग की थी।
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