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टेप विवाद में छह वर्ष के लिए कांग्रेस से निकाले गए अमित जोगी

रायपुर। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में एक उपचुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार को मैदान छोड़ने के लिए दिए करोड़ों रुपए के कथित 'लेनदेन' का टेप सार्वजनिक होने के मामले में अमित जोगी को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. इसके अलावा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को भी छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया है. बुधवार को कांग्रेस ने प्रदेश कार्यकारणी की बैठक के बाद यह निर्णय लिया. उधर, विधायक अमित जोगी ने अपने निष्कासन को ग़लत बताया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी की बपौती नहीं है. अमित जोगी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा -"इस फ़ैसले से सामंती और ज़मींदारी प्रवृत्ति के लोगों की जीत हुई है, लेकिन मैं ऐसे निर्णय से डरने वाला नहीं हूँ." उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस का यह फ़ैसला अंतिम नहीं है. प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के समय कांग्रेस भवन के बाहर बड़ी संख्या में जोगी विरोधी कार्यकर्ता उपस्थित थे. उन्होंने निर्णय के बाद आतिशबाज़ी भी की. इस दौरान पुलिस की कड़ी सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए थे. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल ने कहा,"पार्टी के भीतर पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा हुई और अमित जोगी को पार्टी से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया. " अमित जोगी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे हैं और फिलहाल बिलासपुर की मरवाही विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं. उनकी मां डॉक्टर रेणु जोगी भी बिलासपुर की ही कोटा विधानसभा से कांग्रेस की विधायक हैं. अमित जोगी का राजनीतिक करियर विवादों से घिरा रहा है. अमित जोगी पहली बार छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले 4 जून 2003 को राकांपा के कोषाध्यक्ष राम अवतार जग्गी की हत्या के मामले में चर्चा में आए थे. इस मामले में मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी समेत 31 लोगों के ख़िलाफ़ केस दायर किया गया था और अमित लगभग 10 महीने तक जेल में रहे. हत्याकांड में 17 लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. बाद में अजीत जोगी और अमित जोगी को बरी कर दिया गया था, लेकिन अमित जोगी को बरी किए जाने के ख़िलाफ़ याचिका अदालत में लंबित है. 2003 में ही तत्कालीन भाजपा नेता दिलीप सिंह जूदेव का बहुचर्चित टेप सामने आया, जिसमें कथित रूप से उन्हें "पैसा ख़ुदा तो नहीं लेकिन ख़ुदा से कम नहीं" कहते और रिश्वत लेते दिखाया गया था. इस मामले में सीबीआई ने अपनी एक जांच रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी ने दिलीप सिंह जूदेव को कथित रिश्वत के स्टिंग ऑपरेशन की साज़िश रची थी. अमित जोगी ने पहली बार 2013 में विधानसभा चुनाव लड़ा. बिलासपुर ज़िले की मरवाही सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अमित जोगी को 82,865 वोट मिले, जबकि भाजपा की समीरा पैंकरा को 36,605 वोट ही मिल सके. 46,260 वोटों से जीत हासिल करने वाले अमित जोगी के चुनाव का मामला भी अदालत में लंबित है. अमित जोगी पर अपनी उम्र छिपाने, जन्मस्थान को लेकर ग़लत तथ्य पेश करने के साथ-साथ उनकी जाति को भी चुनौती दी गई है. सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए अमित जोगी की नागरिकता और जन्म तिथि को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई के निर्देश दिए हैं. ताज़ा मामला 13 सितंबर 2014 का है, जब बस्तर की अंतागढ़ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कुल 13 उम्मीदवार मैदान में थे. चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया था. हालत यह हुई कि नामांकन वापसी के अंतिम दिन भाजपा ने निर्विरोध चुनाव जीतने के लिए कोशिशें शुरू कीं और एक-एक कर 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान से हट गए. इस सीट पर भाजपा के अलावा सिर्फ़ अंबेडकराइट पार्टी ऑफ़ इंडिया के रूपधर पुड़ो ही मैदान में थे. चुनाव में पुड़ो हारे और भाजपा के भोजराज नाग 50 हज़ार से भी अधिक मतों से जीते. पिछले बुधवार को इसी चुनाव से संबंधित कथित बातचीत के टेप सार्वजनिक हुए. इस टेप में कथित रूप से मुख्यमंत्री रमन सिंह के क़रीबी रिश्तेदार, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे विधायक अमित जोगी, विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने वाले मंतूराम पवार के बीच कई करोड़ के कथित लेनदेन का उल्लेख है. इस कथित ‘लेनदेन’ का टेप सामने आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने किसी भी जांच से इनकार करते हुए कहा था कि ये कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है. इसके बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच रिपोर्ट सात जनवरी तक मांगी है. हालांकि इस मामले में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा है कि इस मामले में मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ आरोप हैं, ऐसे में उनके अधीनस्थ काम करने वाले मुख्य सचिव निरपेक्ष जांच नहीं कर सकते. इसके अलावा कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई ने अमित जोगी को एक नोटिस भेजकर सात दिनों में स्थिति स्पष्ट करने को कहा था. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को भी एक पत्र भेजकर उनकी सफ़ाई मांगी गई थी.
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