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भोजपुरी भाषा में मिठास है, अपनापन है तो फिर...

सुशील कुमार 
भारत में राष्ट्रीय भाषा हिन्दी के बाद सबसे ज्यादा बोले जाने वाली बोलियों मे भोजपुरी है। समय समय पर इसको भाषा बनाने की मांग उठती रही है । इसके लिए विभिन्न आंदोलन भी हुये लेकिन ये आंदोलन तुच्छ राजनीति का शिकार हो गए। अब जरूरत है एक ऐसे आंदोलन की जो जनांदोलन बन जाये। भोजपुरी भाषी 20 करोड़ से भी ज्यादा भोजपुरी भाषी जनसंख्या 20 करोड़ से भी ज्यादा है । ये लोग भारत के विभिन्न हिस्सों मे अपना विशेष प्रभाव भी रखते हैं । सिंधी , मणिपुरी और यहाँ तक कि नेपाली भाषा भी 8वीं अनुसूची मे हैं जबकि इन भाषाओं को बोलने वाले भोजपुरी भाषियों कि तुलना मे काफी कम लाखों मे ही हैं। आलोचक शामिल ना करने का तर्क देते हैं कि इससे हिन्दी को ही नुकसान होगा उनकी संख्या कम होगी। दूसरा यह कि आरबीआई द्वारा सभी भाषाओ मे नोटों पर मूल्य लिखना आसान ना होगा क्योंकि एक नोट पर जगह कम होती है। उनके इस तर्क मे दम नहीं है। 'एक मारिशस की हिन्दी यात्रा' मारिशस के हिन्दी विद्वान सोमदत्त बखोरी ने अपनी पुस्तक 'एक मारिशस की हिन्दी यात्रा' मे लिखते हैं कि भोजपुरी केवल घर कि भाषा नहीं थी, ये सारे गाँव कि भाषा थी, भोजपुरी के दम पर लोग हिन्दी समझ लेते थे और हिन्दी सीखना चाहते थे । वह सहायक सिद्ध होती थी । आज हम निःसंकोच कह सकते हैं कि इस देश मे हिन्दी फली फुली है तो भोजपुरी के प्रतापों से। दूसरे तर्क की बात की जाये तो अमेरिका मे शुरुआत मे 14 राज्य थे जो अब 50 हो चुके हैं । वहाँ की नोटों पर 14 अलग अलग तार और अन्य राज्यों को झंडे तथा छोटे छोटे अक्षरों मे नाम लिखे हैं । कुछ इस तरह का ही फार्मूला आरबीआई भी अपना सकता है । भोजपुरी भाषी सांसदों की संख्या 100 से ज्यादा 1969 से लेकर अभी तक 18 बार विभिन्न विधेयक भोजपुरी को 8वीं अनुसूची मे शामिल करने के लिए संसद मे लाये जा चुके हैं ।लेकिन हर बार कोई ना कोई बहाना बनाकर इसे टाला जा रहा है । लोकसभा मे भोजपुरी भाषी सांसदों की संख्या 100 से ज्यादा है । जिसमे देखा जाये तो विशुद्ध रूप से भोजपुरी भाषी लोकसभा क्षेत्र बिहार, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड का मिलाकर 90 हो जाता है । बिहार में 40,पूर्वाञ्चल 36, झारखंड 14,सीटें हैं। अन्य राज्यों से भी भोजपुरी भाषी सांसद चुन कर आते हैं । पंजाब से सांसद सीमरजीत सिंह ने संसद मे कहा था कि-‘गुरु गोविंद सिंह जी की रचनाएँ भोजपुरी में हैं । भोजपुरी सिनेमा का बजट 500 करोड़ अगर भोजपुरी बाज़ार की बात की जाये तो इसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है । इसके फिल्मों की बात की जाये तो भोजपुरी सिनेमा का बजट 500 करोड़ का है । जहां फिल्मों की कम लागत मे अच्छी ख़ासी कमाई हो जाती है । यही कारण है कि बॉलीवुड के स्टार भी यहाँ अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। अमिताभ बच्चन , मिथुन,अजय देवगन सरीखे सुपर स्टार ये फिल्मे कर रहे हैं । 2004 में मनोज तिवारी की आई फिल्म ‘ससुरा बड़ा पईसा वाला' मात्र 27 लाख मे बनी और 6 करोड़ की कमाई की। उसके बाद तो यहाँ फिल्मों की बाढ़ सी आ गयी,जो अब तक बदस्तूर जारी है । भोजपुरी चैनल ये भोजपुरी बाज़ार का ही आकर्षण है कि अब यहाँ पर चैनल भी आने लगे हैं महुआ चैनल की सफलता एवं लोकप्रियता के बाद अनेक भोजपुरी चैनल आ गए हैं। जिसमे गंगा,हमार टीवी जैसे चैनल प्रमुख हैं। भोजपुरी को इंटरनेट फ्रेंडली बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है । बीएचयू के भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान व भोजपुरी अध्ययन केंद्र मिलकर इंटरनेट फ्रेंडली बनाने मे जुटे हैं। खबरिया पत्रकारों मे भी बड़े नाम हैं रवीश कुमार,पुण्य प्रसून,उर्मिलेश जैसे पत्रकार भी भोजपुरी भाषी हैं जो आज हिन्दी पत्रकारिता की रीढ़ बन चुके हैं । मारिशस जैसे टापू को भी स्वर्ग बना दिया इन नामों की उदासीनता का ही कारण है कि भोजपुरी को लेकर हुये आंदोलनों को मीडिया कवरेज नहीं मिल पाती है । 6 अगस्त 2015 को जंतर मंतर पर भोजपुरी भाषा मान्यता के बैनर तले आंदोलन हुआ लेकिन ये बड़ी खबर ना बन सका । बिहार के बड़े विश्वविद्यालयों के साथ साथ बीएचयू मे भी भोजपुरी की पढ़ाई की जाती है। मारिशस जैसे टापू को भी स्वर्ग बना दिया भोजपुरी राष्ट्रीय भाषा ना होने कारण साहित्य पुरस्कार ,फिल्मों को राष्ट्रीय अवार्ड,भोजपुरी लेखकों को राष्ट्रीय पुरस्कारों की श्रेणी से बाहर रखा जाता है । जो की भोजपुरी के 20 करोड़ जनमानस के साथ अन्याय है । भोजपुरी की लोकप्रियता की मिठास का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि संगम नगरी मे मारिशस से आयी एक विदुषी ने कहा था कि भोजपुरी की मिठास की प्रगाढ़ता ही है कि उसने मारिशस जैसे टापू को भी स्वर्ग बना दिया।
(राजनीति शास्त्र में एमए करने वाले लेखक सुशील कुमार वर्तमान में MJMC लखनऊ के छात्र हैं। सुशील कुमार देश के विभिन्न पहलुओं पर पैनी नजर रखते हैं। सुशील अच्छी और सकारात्मक सोच के साथ अपनी लेखनी को अंजाम देते हैं।)
(साभार लिंकः http://hindi.oneindia.com/news/features/bhojpuri-is-not-the-only-language-bihar-371609.html?google_editors_picks=true)
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