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याकूब मेमन को दी गई फांसी

नागपुर। 1993 के मुंबई बम धमाकों के अभियुक्त याकूब मेमन को 30 जुलाई की सुबह भारत के गंभीरतम आतंकी हमलों में उसकी भूमिका के लिए फांसी दे दी गई। रात भर मेमन को बचाने की अदालती कोशिशों के विफल होने के बाद सजा की तामील की गई। सुप्रीम कोर्ट में मेमन की अपील की अंतिम सुनवाई सजा पर अमल के दो घंटे पहले तक हुई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार परिवार के दो सदस्य फांसी के दौरान मौजूद थे। 12 मार्च 1993 को मुंबई में स्टॉक एक्सचेंज सहित 13 जगहों पर बम धमाके हुए जिसमें 257 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा घायल हो गए। मेमन को हमले की साजिश का दोषी पाया गया और मुंबई की एक अदालत ने 2007 में उसे इसके लिए फांसी की सजा दी। पेशे से चार्टर एकाउंटेंट मेमन ने हवाला के जरिए बम हमलों के लिए धन दिया। उसने कई अभियुक्तों के लिए हवाई टिकटों का भी इंतजाम किया जिन्हें पाकिस्तान में हथियारों की ट्रेनिंग मिली। मुंबई में एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने इस मामले में 100 लोगों को सजा सुनाई। उनमें से 12 को फांसी की सजा दी गई और 20 को आजीवन कैद की. सिर्फ मेमन की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने एक अपील के बाद 2013 में बरकरार रखा, जबकि दूसरों की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। भारतीय जांच अधिकारियों का कहना है कि 1993 के मुंबई धमाके एक साल पहले हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा बाबरी मस्जिद को गिराने और उसके बाद भड़के दंगों का बदला लेने के लिए किए गए। धमाकों के असली साजिशकर्ता गैंगस्टर दाउद इब्राहिम और उसका साथी टाइगर मेमन तब से छुपे हुए हैं। याकूब मेमन टाइगर मेमन का छोटा भाई है जो 1994 में अपने परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ भारत लौट आया था और धमाकों की जांच में जांच अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहा था। मेमन को दी गई सजा पिछले तीन सालों में भारत में हुई तीसरी फांसी है। तीनों को आतंकवाद के मामलों में फांसी दी गई है। बीजेपी के सांसद शत्रुघ्न सिंहा मेमन मामले में पार्टी के रुख से सहमत नहीं हैं। 15 पेज की याचिका पर उन्होंने भी हस्ताक्षर किए हैं। याचिका में विस्तार से कई कानूनी तर्क दिए गए हैं और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी बताते हुए मेमन की फांसी की सजा को खारिज करने की अपील की गयी है। पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी ने भी याचिका पर हस्ताक्षर किए और कहा है कि राष्ट्रपति के पास याचिका भेजने का फैसला लेने वाले बार सदस्यों का वे सम्मान करते हैं। आठ रिटायर्ड जजों समेत 40 बड़ी हस्तियों ने इस याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह समेत कई कानून के जानकारों ने राष्ट्रपति से फांसी की सजा खारिज किए जाने की अपील की। इनमें जस्टिस पानचंद जैन, जस्टिस एचएस बेदी, जस्टिस पीबी सावंत, जस्टिस एच सुरेश, जस्टिस केपी शिवा सुब्रमण्यम, जस्टिस एसएन भार्गव, रिटायर्ड जस्टिस के चंद्रू और जस्टिस नागमोहन दास शामिल हैं। बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान ने मेमन के पक्ष में कई ट्वीट किए। इस पर विवाद उठने के बाद सलमान ने ट्वीट डिलीट किए और माफी भी मांगी। पर साथ ही कहा कि वे फांसी की सजा को गलत मानते हैं। नसीरुद्दीन शाह के अलावा अभिनेता और निर्देशक एमके रैना तथा सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी ने भी हस्ताक्षर किए हैं। नसीर के अलावा सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाने वाले महेश भट्ट भी इस सूची में शामिल हैं। मेमन को ठीक आठ साल पहले 27 जुलाई 2007 को आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गयी थी। कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर भी हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची में शामिल हैं। मेमन ने टाडा की विशेष अदालत द्वारा जारी डेथ वारंट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई सचिव डी. राजा भी मेमन के पक्ष में आए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात और उनकी पत्नी वृंदा करात ने भी याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं। उनके अलावा याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों में माजिद मेमन, केटी शिवा, डी राजा, केटीएस तुलसी और एचके दुआ जैसे सांसद भी शामिल हैं। इतिहासकार इरफान हबीब, डीएन झा और अर्जुन देव, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय और जॉन दयाल ने भी याचिका पर दस्तखत किए हैं। उधर, मुंबई बम विस्फोटों के दोषी याक़ूब मेमन को गुरुवार शाम लगभग 5:15 बजे मुंबई के बड़ा क़ब्रिस्तान में दफ़नाया दिया गया। इससे पहले क़रीब डेढ़ बजे याक़ूब का पार्थिव शरीर मुंबई में माहिम में उनके घर लाया गया था। गुरूवार सुबह लगभग 6:30 बजे के क़रीब कड़ी सुरक्षा के बीच नागपुर सेंट्रल जेल में याक़ूब को फांसी दी गई थी। उम्मीद है कि याक़ूब मामले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस सदन में वक्तव्य देंगे। किसी भी अप्रिया घटना की आशंका के मद्देनज़र याक़ूब मेमन के माहिम स्थित घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। जनाज़े के माहिम से चंदनवाड़ी तक के रास्ते की पुलिस ने घेराबंदी कर दी थी। सुरक्षा इंतज़ाम देखने के लिए ख़ुद पुलिस कमिश्नर और क़ानून व्यवस्था के संयुक्त पुलिस आयुक्त मौक़े पर मौजूद थे। क़रीब पांच सौ पुलिसकर्मी माहिम में तैनात किए गए थे जिनमें रैपिड एक्शन फ़ोर्स और दंगा नियंत्रण पुलिस के जवान शामिल थे। माहिम और मरीन लाइन्स के बीच भी कड़ी सुरक्षा बन्दोबस्त किए गए थे। पुलिस ने नोटिस जारी करके स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी को भी याक़ूब की अंतिम यात्रा की तस्वीर लेने या वीडियो उतारने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।
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