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मोदी सरकार पर ग्रामीणों की समस्या दूर नहीं कर पाने का आरोप

नई दिल्ली। सत्ता संभालने के एक साल बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं जो उनका पीछा छोड़ती नजर नहीं आ रही है। यह चुनौती कृषि क्षेत्र का गहरे संकट में होना है जिससे भारत की एक तिहाई आबादी की आजीविका जुड़ी हुई है और प्रधानमंत्री पर इस सेक्टर की स्थिति सुधारने के लिए पर्याप्त काम नहीं करने का आरोप लग रहा है। सुशासन और मजबूत इकॉनमी का वादा करते हुए मोदी पिछले साल संपन्न हुए चुनावों में तीन दशकों में ऐसी ऐतिहासिक जीत हासिल की। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र को संकट से न निकाल पाने के कारण उनकी लोकप्रियता का ग्राफ गिरा है और लगभग विलुप्त हो चुके विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया है।ईरान न्यूक्लियर मामला और ब्राजील में करंसी गिरावट के कारण विश्व स्तर पर कमोडिटी के मूल्यों में गिरावट का प्रभाव भारत के कृषि क्षेत्र पर भी देखने को मिला। पिछले साल फसल के सीजन अक्टूबर से मार्च तक भारत के कृषि उत्पादों के निर्यात में 11 फीसदी से अधिक गिरावट आई है। निर्यात में आई गिरावट के कारण कृषि क्षेत्र के उत्पादों के मूल्य में गिरावट देखी गई। इसके अलावा बेमौसम बारिश ने किसानों पर और कहर बरपा दिया। किसानों के पास अब गर्मी में बुआई के मकसद से बीज खरीदने के लिए बहुत ही कम पैसे रह गए हैं। ऊपर से मौसम विभाग के विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि जून-अक्टूबर मॉनसून भी सामान्य से नीचे रहेगा, जिसका मतलब है अगली फसल भी तबाह हो जाएगी। नई दिल्ली स्थित आरपीजी फाउंडेशन थिंक टैंक के अध्यक्ष डी.एच.पाई ने बताया, 'ऐसी धारणा बन रही है कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में पैदा संकट से निपटने के लिए बहुत ही धीमी प्रतिक्रिया दे रही है। स्थिति से सही ढंग से अगर नहीं निपटा गया तो संकट पैदा होगा और आर्थिक सुधारों की योजना पर पानी फेर देगा।' हालांकि भारत की 2000 अरब डॉलर की इकॉनमी में कृषि क्षेत्र का हिस्सा महज 15 फीसदी ही है लेकिन इससे हिंदुस्तान के 60 फीसदी लोगों को आजीविका मिलती है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में इसका गहरा राजनीतिक प्रभाव पड़ेगा। एक साल पहले मोदी सरकार ने जिस विपक्षी कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह शिकस्त दी थी और इस शिकस्त के बाद कांग्रेस पार्टी राजनीतिक पटल से करीब-करीब गायब हो गई थी अब इस मौके का फायदा उठा रही है। पार्टी के नेता राहुल गांधी ने प्रभावित कृषि क्षेत्रों का दौरा करना शुरू कर दिया है और नेहरू-गांधी राजनीतिक वंश के इस उत्तराधिकारी को अच्छा रिसपॉन्स भी मिल रहा है। पंजाब के खन्ना होलसेल मार्केट के एक गेहूं के न परमदीप सिंह ने बताया, 'एक ओर मोदी हमारी सहायता करने में नाकाम रहे तो दूसरी तरफ राहुल गांधी है जिन्होंने हमारे जख्म पर मरहम लगाया है, हमारी पीड़ा को दूर किया है। उनकी यात्रा से कम से कम सरकार यह मानने को मजबूर हुई है कि हमें काफी नुकसान उठाना पड़ा है।' (साभार एबीटी)
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