ताज़ा ख़बर

मोदी सरकार के कारण गरीबों के कल्याण पर मंडराया संकट

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने नकदी संकट से बचने के लिए सरकारी खर्च में कटौती का जो कदम उठाया है, उससे गरीबों के कल्याण की स्कीमों पर खतरा मंडराने लगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने सितंबर में जिस न्यूनतम पेंशन स्कीम की घोषणा की थी उसे सर्द बस्ते में डाल दिया गया है क्योंकि केंद्र सरकार ने इस स्कीम को चलाने वाली संस्था ईपीएफओ को स्कीम को जारी रखने को लेकर कोई निर्देश जारी नहीं किया है। सरकार ने एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम 1995 (ईपीएफएस-95) के तहत निजी सेक्टर के एंप्लॉयीज के लिए सितंबर में कम से कम 1,000 रुपये पेंशन अधिकार को मंजूरी दी थी। इस स्कीम में यह प्रावधान था कि जिस कर्मचारी को 1,000 रुपये से कम पेंशन मिलता है, उसे सरकार अपने पास से मिलाकर पेंश देगी जिससे कि उस कर्मचारी को 1,000 रुपये हर महीने पेंशन के रूप में मिल सके। स्कीम को नोटिफाई किया गया था कि मार्च 2015 से पहले इसे क्रियान्वित नहीं किया जाएगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईपीएफओ को स्कीम को अप्रैल से जारी रखने के लिए कोई कम्यूनिकेशन प्राप्त नहीं हुआ जिस कारण इस स्कीम को रोक दिया गया है। मामले पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए जब ईपीएफओ ने केंद्र सरकार से संपर्क किया तो कुछ जवाब नहीं मिला। आखिरकार ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से इस स्कीम को बंद कर देने का निर्देश दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महीने से स्टाफ को पुराने रेट्स पर ही पेंशन मिलने शुरू हो जाएंगे। रिपोर्ट में एक सीनियर ईपीएफओ ऑफिसर का हवाला देते हुए कहा गया है, 'टॉप अप अमाउंट के बगैर पेंशन की राशि बहुत ही कम है। कुछ मामलों में तो यह मात्र कुछ सौ रुपये तक ही सीमित है।' ट्रेड यूनियनों ने भी पेंशन स्कीम को लंबित रखने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हिंद मजदूर सभा के सेक्रटरी ए.डी.नागपाल ने बताया, 'सभी सेंट्रल ट्रेड यूनियन्स मामले को प्रधानमंत्री के समक्ष उठाएंगे और स्कीम को चालू करने की मांग करते हुए उनको पत्र लिखेंगे। हम इस फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे।' रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले से करीब 32 लाख पेंशनभोगियों का बड़ा नुकसान होगा जिनको इस निर्धारित रकम से बहुत ही कम पेंशन मिल रहा है। नागपाल, जो ईपीएफओ के ट्रस्टी भी हैं ने बताया, 'पीएम ने खुद से 1000 न्यूनतम मासिक पेंशन की घोषणा की है। क्या सरकार ने इसे सिर्फ छह महीने के लिए लागू किया था?' सरकार भारी नकदी संकट से जूझ रही है। शुरू के आंकड़ों से पता चलता है कि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 90,028 करोड़ रुपये की कमी आई है। आरंभ में रिपोर्ट आई थी कि सरकार यूनिवर्सल हेल्थकेयर प्लान के फंड में कटौती करना चाह रही है। इस स्कीम का पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था। इस स्कीम का नाम नैशनल हेल्थ अश्योरेंस मिशन रखा गया था। इसका मकसद बीमारों के लिए दवा, रोग परीक्षण और इंश्योरेंस की मुफ्त सेवा प्रदान करनी थी। स्कीम को अप्रैल 2015 में लॉन्च होना था लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पांच साल के लिए इसकी संशोधित अनुमानित लागत करीब 1 लाख करोड़ रुपये आने पर इसे ठंडे बस्ते में डाल रखा है। (साभार)
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: मोदी सरकार के कारण गरीबों के कल्याण पर मंडराया संकट Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in