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सामूहिक कन्या विवाह की तैयारियां अंतिम चरण में, इस पुनीत कार्य का मचा है चहूंओर शोर

मैरवा (सीवान)। 18 अप्रैल को हरिराम हाईस्कूल के वृहद क्रीड़ांगन में होने वाले 51 जोड़ों की सामूहिक विवाह की चर्चा ने पश्चिमी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में शोर मचा रखी है। इस भव्य और एतिहासिक आयोजन में मुख्य भूमिका का निर्वाह करने वाले बेलासपुर निवासी अजित कन्हैया ओझा और उनकी पत्नी सुनीता ओझा यहां के लिए लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। अजित कन्हैया ओझा और सुनीता ओझा जैसे लोगों की जज्बा और भावपूर्ण उत्साह के मद्देनजर ही किसी ने लिखा हैः
उठो कि तुम जवान हो, महान तेजवान हो, कि अंधकार के लिए, मशाल ज्योतिमान हो। 
कि हर निशा नवीन स्वप्न आँख में बसा रही, कि हर उषा नवीन सिद्धि जिन्दगी में ला रही।
 इसमें कोई शक नहीं कि अजित कन्हैया ओझा और उनकी पत्नी सुनीता ओझा ने जिस तरह इस कार्य को अंजाम देने में लगे हुए हैं उसे देख यह स्पष्ट हो रहा है कि इस दम्पति का नाम सूबे के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में उद्धृत होगा। मुम्बई में एक शिपिंग कंपनी संचालित करने वाले अजित कन्हैया ओझा और उनकी पत्नी सुनीता ओझा की कार्यशैली ने उन्हें देश के चर्चित समाजसेवियों व जनहितकारी कार्यों में लिप्त रहने वाले लोगों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। उदाहरणस्वरूप, यूपी में एक ऎसे भिखारी हैं जो भीख मांगकर जुटाए गए पैसों से निर्धन ल़डकियों की शादी कराकर उनकी जिंदगी खुशहाल बना रहे हैं। सोनभद्र जिले के निवासी रमाशंकर कुशवाहा (58) उर्फ भिखारी बाबा रामगढ़ कस्बे में स्थित शवि मंदिर के महंत हैं। भिखारी बाबा अब तक करीब 600 गरीब आदिवासी व दलित कन्याओं का विवाह कराकर उनका घर बसवा चुके हैं। भिखारी बाबा कहते हैं- "मुझे हर बेसहारा व गरीब कन्या में अपनी बेटी दिखती है। मैं नहीं चाहता है कि धन के अभाव में किसी कन्या की डोली न उठे। उनकी शादी के लिए ही मैं भीख मांगता हूं।" बाबा के जीवन की एक मार्मिक घटना ने उन्हें इस तरह के कार्यों को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। कहते हैं-"साल 2005 में मेरे आश्रम के पास एक युवक आया और कुएं का पानी पीकर छाया में सुस्ताने लगा। तभी उसे अचानक दिल का दौरा प़डा। वहीं उसकी मौत हो गई। लड़के के घर में केवल एक छोटी बहन थी। उसकी मौत की खबर पर बदहवास हालत में आई व रोकर कहने लगी कि अब उसका क्या होगा। उसे रोता देख उसकी शादी कराने का ऎलान किया। तभी से प्रण किया कि बेसहारा कन्याओं की शादी कराऊंगा।" वर्ष 2005 में पहली बार 21 गरीब कन्याओं की शादी करवाकर मुहिम शुरू की, जो अबतक जारी है। इसी तरह का उदाहरण देश के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में देखने को मिला। वहां के तत्कालीन सामाजिक कल्याण मंत्री एच.अंजनयुलु द्वारा अपनी बेटी अनुपमा की शादी 96 अन्य जोड़ों के साथ सामूहिक विवाह समारोह में करने की खबर अत्यंत सुखद और सामाजिक सरोकार से युक्त है। समाज कल्याण मंत्री ने अपनी बेटी को उसके विवाह के अवसर पर कोई गहने और उपहार न देकर महज एक साड़ी दी। विवाह में शिरकत करने वाले मेहमानों को मंहगे पकवानों के स्थान पर महज चांवल, साम्भर एवं पायसम परोसा तथा विवाह में मौजूद 55 गरीब परिवारों के किसानों को गायें दान में दी। इस पहल से न सिर्फ मंत्री बल्कि उनकी नवविवाहित बेटी और दामाद भी काफी खुश है। इसे बदलाव की दिशा में एक सार्थक कदम के रूप में देखा जा रहा है। उक्त राजनीतिज्ञ ने ऐसा करके न सिर्फ अपने पद के दायित्व को बखूबी निभाया बल्कि राजनेताओ को सादगीपूर्ण जीवन बिताने का सन्देश भी दिया। आज समाज में गरीब और अमीर के बीच गहरी खाई है। अमीर अपने बच्चों की शादी पर लाखों रूपये बर्बाद कर रहे है ऐसे में सामूहिक विवाह समारोह में अपने बच्चों का विवाह करने वाले परिवारों को अत्यंत गरीब, मजबूर और विपन्न माना जाता है। उच्च और मध्यमवर्ग के लोगों द्वारा उन्हें हीन दृष्टि से देखा जाता है। यूं कहें कि अखिल भारत में इस तरह के पुण्य कार्यों को करने वाले लोगों की श्रेणी में अजित कन्हैया ओझा और उनकी पत्नी सुनीता ओझा भी शामिल हो गई हैं। 18 अप्रैल को मैरवा में होने वाले 51 जोड़ों के सामूहिक विवाह की तैयारियां जोरों पर हैं। तैयारियां कन्यादान समागम के प्रमुख समन्वयक दुर्गा प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह के नेतृत्व में चल रही है। सूत्रों का कहना है कि इस सामूहिक शादी में खर्च होने वाले भारी-भरकम रकम अजित कन्हैया ओझा व सुनीता ओझा अपने व्यक्तिगत निधि से ही दे रहे हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि अपने व्यक्ति निधि से एक भारी-भरकम रकम खर्च कर सामाजिक और पुण्य का कार्य करना अपने आप में एक अनूठी मिसाल की भांति है। बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से ओझा दम्पति गरीब कन्याओं की शादी करा रही है। बहरहाल, अजित कन्हैया ओझा और सुनीता ओझा के पावन, पवित्र व सच्चे दिल से समाज सेवा की भावना की जितनी भी तारीफ की जाए, कम ही होगी।
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