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ग्यारह दिवसीय धार्मिक नैतिक संस्कार शिविर में 185 बच्चों को दी संस्कारों की सीख

उदयपुर। लौट के आजा महावीर.. तुझे चंदना पुकारे, एक गुरु है एक पंथ निराला, चिठी आई है प्रभु की चिठी आई है, इत्यादि भजनों पर बालक - बालिकाओं ने प्रस्तुतियां देकर उपस्थित जनसमुदाय को भाव - विभोर कर दिया। मौका था धार्मिक नैतिक संस्कार शिविर के समापन समारोह का। देवेन्द्र धाम में जैनाचार्य श्री देवेन्द्र महिला मंडल द्वारा आयोजित ग्यारह दिवसीय 12 वें ’धार्मिक नैतिक संस्कार‘ शिविर का रविवार को समापन समारोह हुआ जिसमें विशिष्ट अतिथि जिला प्रमुख मधु मेहता ने कहा कि धार्मिक संस्कारों के अंकुरोपण के लिए शिविर आवश्यक है। ग्यारह दिवस चलने वाले शिविर संस्कारों की भूमि तैयार करते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि शिविर में दिए गए संस्कारों को जीवित रखने के लिए बच्चों को सतत धर्म और नैतिक जीवन की प्रेरणा देते रहें। यदि हम ऐसा कर सकें तो शिविर में दिए गए संस्कार एक संस्कारित समाज को जन्म दे सकते हैं। नवकार महामंत्र के स्तुति से प्रारम्भ समापन समारोह में श्रीमती मेहता ने शिविराथियों को समर्पण, अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा, समयबद्धता अपनाने की प्रेरणा दी। महिला मंडल की अध्यक्ष सुधा भंडारी ने आगन्तुकों का स्वागत करते हुए बताया कि बच्चों के जीवन को संस्कारित बनाने के लिए यह 12 वां शिविर था, पिछले ग्यारह शिविरों से 1600 से अधिक बच्चें लाभान्वित हो चुके है। मुख्य अतिथि महापौर रजनी डांगी ने शिविरार्थियों को यहां अर्जित ज्ञान व संस्कारों को आगे और विस्तार देने की प्रेरणा दी। उल्लेखनीय है कि इस शिविर में 5 वर्ष से 21 वर्ष तक के 185 बालक बालिकाएं भाग ले रही थी। शिविर में महवीर दरबार का अनावरण इन्द्रसिंह मेहता द्वारा किया गया। महिला मंडल की मंत्री ममता रांका ने मंडल द्वारा वर्षभर में किए गए आयोजनों की जानकारी दी। शिविर में विभिन्न आयु के बच्चों ने समूह नृत्य, नाटक, कव्वाली आदि प्रस्तुत किये। मुख्य रूप से भगवान महावीर के कानों में कीले ठोकने का मार्मिक प्रसंग व कर्म नचाये नाच, संस्कारी नारी, लक्ष्मी को क्या लक्ष्मी दूं, धन्ना सेठ व भ्रूण हत्या महापाप पर आधारित नाटक प्रस्तुत किए गए, जिसे देखकर उपस्थित जन अवाक रह गए। बालकों ने शिविर संस्मरण सुनाए। समारोह में बच्चों को बसन्ती कुमार, रमेश, सुरेश, राजेन्द्र व दीपक बडाला परिवार द्वारा पुरस्कृत किया गया व हंसराज मुकेश चौधरी द्वारा प्रमाण पत्र दिये गये। संचालन रंजना मेहता ने किया जबकि धन्यवाद की रस्म ममता रांका ने अदा की। शिविर को सफल बनाने में सोनिका, रेखा चितौडा, स्नेहलता जैन, निर्मला बडाला, इन्द्रा, रुपीबाई आदि का पुरुषार्थ नियोजित हुआ। (प्रस्तुतिः ममता रांका)
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